हमारे देश की महिलाओं ने ये साबित कर के दिखाया है की उन्हें रोक पाना किसी के बस की बात नहीं है. अगर सरकार और समाज साथ है तो वो कितने मुकाम हासिल कर सकती है, इसका कोई अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता. हमारे देश की राज्य सरकारों में ऐसे बहुत से कदम उठाए है जो महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते है. लेकिन फिर भी हमारे देश में कुछ ऐसी जातियां है जिन्हे हम और आप से बहुत कम सुविधाएं मिली है.
संरक्षण, सुरक्षा और आरक्षण के नाम पर हमेशा से ही झूठे वादे दिए गए. जब पुरे समाज कि हालात ऐसे है तो महिलाओं को कितनी ज़्यादा परेशानियों से गुज़ारना पड़ता होगा. आर्थिक सामाजिक शारीरिक हर तरह से उनका शोषण होता है . सरकारें अनुसूचित जातियों खासकर महिलाओं के लिए कोशिशें कर रहीं है जिससे यह मुख्यधारा में आ सकें और अपनी स्थिति में हर तरह का सुधार ला सकें.
ऐसा ही एक प्रयास मध्य प्रदेश सरकार ने 'सावित्रीबाई फुले स्वसहायता समूह विकास योजना' के साथ किया, जिसमे मप्र की अनुसूचित जाति महिलाओं को जोड़ा गया. खासतौर पर उन महिलाओं को जिनके पास खुद का काम शुरू करने के लिए साधनों की कमी थी. BPL कार्ड धारक इन महिलाओं के स्वसहायता समूह तैयार किये गए. इन महिलाओं के लिए आर्थिक आज़ादी के मंत्र को लेकर यह योजना शुरू की गई. सिर्फ ये ही नहीं, जितनी भी महिलाएं इन समूहों के साथ जुडी हुई है उन सबको प्रशिक्षण भी दिया गया .
सरकार ने इन स्वसहायता समूहों वो को कई बैंको के द्वारा 20 करोड़ का क़र्ज़ (प्रति महिला 2 लाख का बैंक क़र्ज़ और 10 हज़ार का अनुदान) दिलवाया ताकि ये महिलाएं अपने काम जैसे, लघु-कुटीर उद्योग, पशुपालन, हथकरघा एवं हस्तशिल्प शुरू कर पाए. रविवार विचार का भी मानना है की अगर सही साथ हो तो महिलाएं अपनी सामाजिक और आर्थिक परिस्तिथियों को सुधार सकेंगी. और ऐसी ही सहायता उन्हें अपने पैरो पर खड़ा देखने के लिए हर मुमकिन काम करेगा.