फ़ूड वेन का स्वाद चखेंगे विदेशी पर्यटक

रायसेन जिले के पर्यटक स्थल सांची पर 500 से अधिक पर्यटक रोज़ आते हैं. यहां फ़ूड वेन को शुरुआत से ही बढ़िया रिस्पॉन्स मिलने लगा. प्रशासन के नवाचार से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं में उत्साह है और उनकी उम्मीद बढ़ गई. अब यहां फ़ूड वेन का स्वाद विदेशी भी चखेंगे.

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स्वयं सहायता समूह की हेमलता की फ़ूड वेन (फोटो क्रेडिट:अम्बुज माहेश्वरी)

"जब मेरे कैफे फ़ूड वेन (Cafe Food Van) के पास इतने बड़े-बड़े अधिकारी खड़े थे,और जब कहा कि आप तो बहुत अच्छा मोमोज़ बनाती हो. मैं ख़ुशी से न समाई. मैं सोच ही नहीं पा रही थी कि मैं वही हेमलता हूं जो कुछ साल पहले तक खेतों में मजदूरी करती थी. सिर पर ईंट ढोती थी. मेरी और परिवार कि ज़िंदगी ही बदल गई." ख़ुशी से चमकते हुए चेहरा लिए हेमलता पाल अब सब को यह बात कहती है. हेमलता आजीविका मिशन के सरस्वती स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष हैं. अब वे सबसे अध्यात्म,पर्यटन और बुद्ध स्तूप की पहचान वाले सांची में अपना फ़ूड ट्रक चला रही हैं. इनके फ़ूड वेन पर केंद्रीय ग्रामीण एवं पंचायत सचिव शैलेश सिंह और ग्रामीण एवं पंचायत विकास के अपर प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव पहुंचे. उन्होंने यहां कई तरह के खाने का स्वाद लिया.

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 केंद्रीय सचिव शैलेश सिंह और अपर मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव ने सांची में फ़ूड वेन का शुभारंभ किया (फोटो क्रेडिट:अम्बुज माहेश्वरी)

आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) की ओर से बनवाया गया सरस्वती स्वयं सहायता समूह (Self Help Group-SHG) चर्चा में है. यहां शासन ने देशी-विदेशी पर्यटकों को ध्यान में रखते यह मौका महिला समूह को दिया.रायसेन जिले के पर्यटक स्थल सांची पर 500 से अधिक पर्यटक रोज़ आते हैं. यहां फ़ूड वेन को शुरुआत से ही बढ़िया रिस्पॉन्स मिलने लगा. प्रशासन के जिले में नवाचार से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं में उत्साह है और उनकी उम्मीद बढ़ गई. अब यहां फ़ूड वेन का स्वाद विदेशी भी चखेंगे. केंद्रीय सचिव सिंह और अपर मुख्य सचिव श्रीवास्तव के साथ कलेक्टर अरविंद दुबे तथा जिला पंचायत सीईओ अंजू भदौरिया भी थी. अपर प्रमुख सचिव श्रीवास्तव ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में आजीविका मिशन ने महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया दिया.      

मजदूरी कर अपना घर चलाने वाली मुक्तापुर गांव की हेमलता आगे बताती है -" मैं और मेरे पति परसराम पाल खेतों में मजदूरी करते या जहां काम मिला जाता वहां मजदूरी करते. आजीविका मिशन के अधिकारियों ने हमसे समूह बनवाया. सरस्वती समूह की अध्यक्ष बनी. ग्राम संगठन जाग्रति समूह से जुड़े और लोन लेकर पहले आटा चक्की खरीदी. धीरे-धीरे हालत सुधरे. मेरे पति ने चक्की का कारोबार संभाला. मुझे फ़ूड वेन का मौका मिला तो समूह की दूसरी साथी कीर्ति पाल के साथ नई शुरुआत की. अब मैं आत्मनिर्भर हो गई."

आजीविका मिशन की जिला परियोजना प्रबंधक एम. राजा कहते हैं - " लगातार काउंसलिंग के बाद यहां कई समूह बनवाए. ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग दिलवाई. हेमलता दीदी को भोपाल भेज कर कुकिंग होटल मैनेजमेंट की खास ट्रेनिंग दिलवाई गई. वह सभी तरह की डिशेस बनाने लगी है.पर्यटकों को बहुत पसंद आने लगा है." जिले में नौ हजार से ज्यादा समूहों में महिलाएं जुड़ गईं. सांची के ब्लॉक प्रबंधक ब्रज भूषण पांडेय बताते हैं - " सांची ब्लॉक में हेमलता पाल का फ़ूड वेन का संचालन बड़ी उपलब्धि है. इनके समूह को और प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस समूह में दस मिलाएं जुड़ीं हैं." 



जिला पंचायत सीईओ भदौरिया ने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा -"जिले में दूसरे समूह से जुड़ी महिलाएं भी अलग-अलग रोजगार से जुड़ चुकीं हैं. यहां महिलाएं बहुत मेहनती हैं और आत्मनिर्भर होना चाहती हैं. उनको प्रोत्साहित किया जा रहा है." 

रिपोर्टर : अम्बुज माहेश्वरी 

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