वो यलो बेल्ट वाली लड़की...

माया बताती है कि घर से बाहर निकलने से बहुत हिम्मत खुली. पहले बैंक के अन्दर घुसने से भी डर लगता था लेकिन आज अपने स्वसहायता समूह के लिए उन्हें अक्सर बैंक जाना पड़ता है. उनके समूह द्वारा समय पर लोन चुकाने के कारण बैंक अधिकारी अब फ़ोन करके उन्हें बुलाते हैं.

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भावना पाठक
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yellow belt girl joins SHG

Image Credits: Ravivar Vichar

वो अपने इलाके में टॉमबॉय कहलाती थी. बॉयकट बाल, बेलौस अंदाज़, कराटे के स्टंट तो ऐसे कि देखनेवाले दांतों तले उंगलियाँ दबा लेते. आप उसे शादी से पहले देखते तो यकीनन आपको आमिर खान की फिल्म दंगल की लड़कियां याद आ जातीं. उसके इस बेलौस अंदाज़ से सबको यही लगता कि वो भी अपनी टीचर ऊषा ठाकुर (जो वर्तमान में मध्यप्रदेश सरकार में पर्यटन मंत्री हैं) से प्रभावित है. परिवार वालों ने बारहवीं के बाद ही उसकी शादी कर दी.  

वक़्त ने करवट बदली और वह इंदौर से ब्याह कर खजूरिया गाँव आ गयी. खजूरिया इंदौर से 18-20 किलोमीटर दूर है. यहाँ 12-15 लोगों का भरापूरा संयुक्त परिवार था. कई सालों तक तो वो परिवार की जिम्मेदारियों में ही उलझी रही पर उसका मन हमेशा चाहता कि वह भी कुछ करे, अपने पैरों पर खड़ी हो. इसमें उसका साथ दिया उसकी जेठानी शांति ने जो खुद तो पढ़ी लिखी नहीं थी पर चाहती थी कि माया की पढाई उसके काम आये, वो घर से बाहर निकले और कुछ करे. शान्ति ने घर की सारी जिम्मेदारियां उठा लीं, यहाँ तक की माया के बच्चों की भी. माया आरसेटी यानि रूरल सेल्फ एम्प्लॉयमेंट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट की तरफ से ग्रामीण महिलाओं को फ्री में सिखाये जाने वाले पार्लर कोर्स को सीखने के लिए रोज़ खजूरिया गाँव से इंदौर के महुनाके 80 किलोमीटर बस से आया जाया करती थी. पार्लर का कोर्स तो उसने 2012 में ही सीख लिया था पर पैसों की तंगी की वजह से अपना पार्लर शुरू नहीं कर पा रही थी. पहले तो उसने घर पर ही एक कुर्सी, शीशे और पटिये से पार्लर की शुरुआत की पर जब वो आजीविका मिशन से जुड़ी और दशामाता स्वसहायता समूह बनाया तो उसके समूह को बैंक से 100000 का लोन मिला. लोन के पैसे से माया ने एक दुकान में पार्लर शुरू किया और कुछ सामान भरा. आज माया का “ख़ुशी पार्लर” उसकी ज़िन्दगी में खुशियाँ बिखेर रहा है. पार्लर के अलावा माया ने एक जनरल स्टोर भी शुरू कर दिया है और इन दोनों जगह से मिला कर उसे महीने में 7 से 8 हज़ार की कमाई हो जाती है.

माया बताती है कि घर से बाहर निकलने से बहुत हिम्मत खुली. पहले बैंक के अन्दर घुसने से भी डर लगता था लेकिन आज अपने स्वसहायता समूह के लिए उन्हें अक्सर बैंक जाना पड़ता है. उनके समूह द्वारा समय पर लोन चुकाने के कारण बैंक अधिकारी अब तो फ़ोन करके उन्हें बैंक बुलाते हैं.

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Image Credits: Ravivar Vichar

माया की बड़ी बेटी अंजलि भी अपनी मां की ही तरह स्पोर्ट्स की शौक़ीन है, वो स्पोर्ट्स में ही आगे बढ़ना चाहती है और माया भी यही चाहती है कि उसकी तरह अंजलि को अपना पैशन छोड़ना न पड़े. माया अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहती है- “स्कूल में मुझे जूडो कराटे में यलो बेल्ट मिला था, अगर मेरी शादी जल्दी ना हुई होती तो क्या पता आज मैं कराटे स्टंट मास्टर होती.” कराटे स्टंट्स की फोटो दिखाते हुए वो यलो बेल्ट वाली लड़की न जाने किन यादों में खो जाती है.    

कराटे स्टंट्स ग्रामीण महिला रूरल सेल्फ एम्प्लॉयमेंट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट खजूरिया टॉमबॉय स्पोर्ट्स इंदौर