जिस महिला को कभी रेलवे स्टेशन जाना नसीब न था न रेल से कोई लंबी यात्रा की. इस महिला के हाथ से बने केले के चिप्स ने ऐसी धूम मचाई कि रेल के मुसाफिर की जुबान पर भी स्वाद चढ़ गया.यही चिप्स अब रेल सफर का साथी बन गया. वही महिला अब शान से रेलवे प्लेटफॉर्म पर घंटों बिताती है. इस अलग स्वाद का नतीजा था कि रेलवे विभाग ने इस महिला को रेलवे स्टेशन पर दुकान देकर केले के चिप्स बेचने की सुविधा दे दी.यह दिलचस्प कहानी बुरहानपुर की है. हम आपको शहर के इस किरदार और महिलाओं के समूह से मिलवाते हैं, जिन्होंने आजीविका मिशन के सहयोग से खुद को साबित कर दिया कि यदि मदद और हौसला मिले तो महिलाएं परिवार के लिए कुछ भी कर सकती हैं.
बुरहानपुर के लालबाग चिनचाला की रहने वाली पिंकी सुरकैया कहती है -" कुछ साल पहले तक हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. पति के छोटे मोटे कामकाज में मदद करती थी. साथ में उसके साथ की महिलाएं भी मजदूरी के लिए जाती थीं. अलग काम के लिए कोई पूंजी भी न थी. तीन साल पहले जिला पंचायत की एक बैठक में केले चिप्स बनाने की सलाह मिली. और उस सलाह ने ज़िन्दगी को संवार दिया. "
जिला पंचायत बुरहानपुर की आजीविका मिशन की परियोजना प्रबंधक कृष्णा रावत ने बताया कि जिले की जरूरतमंद महिलाओं को समूह बनवाने में मदद कर उन्हें रोजगार से जोड़ने की प्रक्रिया जारी है. इसी प्रक्रिया में लालबाग क्षेत्र की खेत मजदूर महिलाओं से भी संपर्क किया. तीन साल पहले राधा बाई अध्यक्ष बनी और चाचा नेहरू महिला स्वसहायता समूह बनाया. कोरोना काल के बाद इसी समूह की कुछ महिलाओं ने केले के चिप्स का धंधा शुरू किया. और कुछ ने बकरी पालन ,भैंस पालन सहित केले के खेतों में काम शुरू किया. इस समूह में राधा बाई ,सरस्वती बाई ,रेखा बाई ,ज्योति बाई ,लक्ष्मी बाई ,उजाला बाई,संगीता बाई भी जुड़े हैं.
समूह कि पिंकी आगे बताती है कि -" लगभग चार माह पहले रेलवे ने कैंप लगवाया. इस कैंप में हमने केले से बने चिप्स भी परोसे . इस केले के चिप्स का अच्छे से प्रदर्शन किया. फिर क्या था ,रेलवे के अधिकारियों ने चिप्स प्रमोशन के लिए प्लेटफॉर्म पर स्टॉल लगाने की विशेष अनुमति दे दी.अब लोकल लोगों के साथ रेल के यात्री भी चिप्स के पैकेट खरीद रहे हैं. देखते ही देखते कमाई बढ़ रही है."
फोटो क्रेडिट : समीर महाजन ,बुरहानपुर
यही नहीं अब इस मिशन में पिंकी के साथ उनके पति भगवान सुरकैया भी मदद कर रहें हैं. वह सुबह आठ बजे से शाम बजे तक रेलवे स्टेशन पर चिप्स बेचते हैं. पिंकी गर्व से बताती है -" उसके बनाए चिप्स ढाई सौ रुपए किलो बिकते हैं.कच्चे केले वे लोकल मंडी से लाते हैं.वह पांच सौ रुपए लगभग रोज कमा लेती है. शाम को रोज खुद हाथ से चिप्स बनाते हैं."
कलेक्टर भव्या मित्तल कहती हैं -" जिले में केले की भरपूर पैदावार है. यह मुख्य फसलों में है. समूह का लगातार हौसला बढ़ाया गया. प्रयास सफल हुए,रेलवे स्टेशन पर केले के चिप्स बेचने का अवसर मिसाल बन गया. जिले में दूसरे समूहों को भी रोजगार के लिए जोड़ा जा रहा है."