जब दिक्क्तें हद से ज्यादा गुजर गई. किसी एक गांव नहीं बल्कि कई इलाकों में पानी की जंग छिड़ गई तब महिलाओं ने जगह जगह मोर्चा संभाला. पीने के पानी की जद्दोजहद में पूरा दिन ख़त्म हो जाने से परेशान महिलाओं का मिशन कामयाब हो गया. सरकार की मंशा भी पूरी हो गई.कई गांव और पंचायतों में ग्रामीण महिलाएं नए कलेवर में दिखाई दे रहीं हैं. जहां-जहां महिलाओं ने ये काम संभाला वहां-वहां न पानी की किल्ल्त न टाइम की बर्बादी. ये जाबांज महिलाएं हैं बुरहानपुर जिले की. स्वसहायता समूह की ये दीदियां अपने गांव में पीने के पानी की कमान संभाले हुए है. और इसकी ख़ास वजह "टेक्स सखी" बन कर जल कर की समय से वसूली करना.यहां की महिलाओं के काम का अंदाज़ राज्य और केंद्र सरकारों में चर्चा में बना हुआ है.यहां के नल जल व्यवस्था और कर वसूली को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज़िक्र किया तो कोई समूह का दिल्ली में सम्मान हो रहा.
आखिर बुरहानपुर जिला और यहां के समूह की दीदियों ने क्या कमाल किया आइए उनसे ही सुनते हैं. दरियापुर गांव के जय श्री कृष्णा समूह की अध्यक्ष रीना पाटिल बताती है -" गांव में नल होते हुए भी पानी नसीब में न था. पंद्रह सौ नल कनेक्शन हैं. पंचायत कर्मचारियों ने हाथ खड़े कर दिए. जब हम ग्यारह दीदियों के समूह ने काम संभाला तो विरोध हुआ. हमने एक न सुनी. साढ़े तीन लाख रुपए से ज्यादा का कलेक्शन कर लिया. मुझे जल शक्ति मंत्रालय ने दिल्ली बुलाकर सम्मानित किया. अब गांव के पुरुष भी साथ देने लगे.
चपोरा के समूह की सदस्य जल टेक्स वसूलती हुई (Image Credits: Ravivar Vichar)
बहादरपुर गांव की प्रगति सहायता समूह की अध्यक्ष दीपिका सोनी कहती हैं-" हमारे गांव में लगभग ढाई हजार नल कनेक्शन हैं. कई सालों से घरों में टाइम पर पानी मिला ही नहीं. पानी के लिए कभी खेत तो कभी इधर -उधर भटकते. उधर अधिकतर महिलाएं खेतों में मजदूरी करती हैं. जो पानी की व्यवस्था जुटाने में मजदूरी पर नहीं जा पाती. पंचायत टेक्स वसूल नहीं कर पाई. प्रशासन ने हमें ये काम दिया." इस गांव में अब रोज़ पानी मिलता है. और अब तक एक साल में पांच लाख की वसूली कर चुकीं हैं.इस समूह में दस दीदियां हैं.
दापोरा गांव में भी स्वर्णलता सहायता समूह ने भी पानी की व्यवस्था अपने जिम्मे लेकर जीवन को पटरी पर ले आईं. सचिव संगीता चौधरी कहती हैं -" हमारे समूह में दस दीदियां हैं. कई गरीबी से जूझ रही थी. हमने साढ़े 23 लाख रुपए से ज्यादा की वसूली की. हमें बीस प्रतिशत पैसा मिल गया. जो दीदियों के हिस्से में आया." इसी समूह की अध्यक्ष आशा महाजन बताती हैं -" मेरे पति छोड़ कर चले गए. खाने के लाले पड़ गए. पानी जुटाने में ही मजदूरी पर नहीं जा पाते. अब आजीविका मिशन ने किस्मत बदली." इस गांव में एक हजार नल कनेक्शन हैं.
इसी तरह गांव चापोरा ,दरियापुर और खातला में भी समूह की महिलाएं जल कर वसूली में रिकॉर्ड बना कर गांव को नई दिशा दी.चपोरा के रेणुका समूह की सचिव वैशाली संजय महाजन कहती हैं -" यहां सौलह सौ नल कनेक्शन हैं. पाइप ख़राब हो गए. गड्ढों में पाइप धंस गए. सब बदले.हाउस वाइफ थी. गांव के ने मज़ाक बनाया. पर मैंने ठान ली थी कि अब परेशानी सहन नहीं करेंगे.और घर से निकल गए." कुछ दीदियों में भारती पाटिल, गायत्री जैनकार ,गायत्री महाजन ने गड्ढे भरवा कर नई पाइप लाइन बिछवा दी.समूह ने दो लाख रुपए कि वसूली कर कमाई का जरिया बना लिया.
खातला के समूह की सदस्य भी वसूली करती हुई (Image Credits: Ravivar Vichar)
इसी तरह खातला गांव में 715 नल कनेक्शन और पांच हजार की आबादी के लोगों को भी भरपूर पीने का पानी मिल रहा है. कल्याणी समूह कि सचिव झवरा सईद कुरैशी कहती हैं -" हमने एक लाख 60 हजार रुपए जल कर में वसूले. पहले खेत और कुओं से पानी लेने दिनभर महिलाएं भटकती रहती थीं. अब जिंदगी रफ़्तार पकड़ रही है."
जिले की परियोजना प्रबंधक कृष्णा रावत कहती हैं -" समूह ने बहुत मेहनत और हौसले से वसूली की. गांव में नल जल योजना को सार्थक कर दिया." ग्रामीण यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के कॉर्डिनेटर राजेश ठाकुर कहते हैं -"जिले में 167 पंचायतों में एक-एक समूह को यह जल कर वसूली का काम सौंपा. इससे 254 गांवों को आने वाले दिनों में लाभ मिलेगा."
कलेक्टर भव्या मित्तल ने बताया - "बुरहानपुर जिले की महिलाओं के समूह सदस्यों में आत्मविश्वास है. नया करने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं. आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें अलग -अलग ट्रेनिंग दिलवाई जा रही है. प्रधानमंत्री और जल मंत्रालय से मिले सम्मान की असली हक़दार समूह की मेहनती महिलाएं हीं हैं."