"मैंने तो कभी सोचा भी न था कि जिन कोयले खदानों की तरफ जाने से हर कोई डरता था ,वहां एक दिन हम खुद लोगों को बोटिंग कराएंगे. पिछले दो साल से हमारी साथी महिलाओं की ज़िंदगी बदल गई. हमारे पास पांच बोट है. हम उसी तालाब में पर्यटकों को घुमाते हैं.खाली खदान से बने पोखर का तालाब बन गया. ख़ास बात यह है कि अभी तक हम गांव की सिर्फ घरेलु बहुएं थीं. अब हमें पूरा इलाका सम्मान की नज़र से देखता है." छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के सूरजपुर (Surajpur) जिले केनापारा पर्यटक स्थल पर शिव शक्ति ग्राम संगठन की अध्यक्ष पूजा साहू ने बहुत ख़ुशी से अपनी आत्मनिर्भर होने की बात बताई.
लीना कोसम, सीईओ, जिला पंचायत, सूरजपुर (Photo Credits: Ravivar vichar)
केनापारा के कोयले की खदान से बने पोखर में डूबने का खतरा और लोगों को जहां जाने से भी डर लगता था, उसी जगह पर्यटकों का तांता लगा रहता है. प्रशासन ने इस खतरनाक जगह को पर्यटन स्थल में बदल दिया. यहां तालाब में बोटिंग और होटल का लोग आनंद उठाते हैं. यहां बनाए गए तालाब की कमान गांव की बहुओं के हाथ में आ गई. ये महिलाएं ही बोट (boating) में पर्यटकों को सैर कराती है. स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की इन महिलाओं के लिए ये तालाब कमाई का जरिया और वरदान साबित हुआ.
सूरजपुर से 15 किमी दूर केनापारा में कोयला उत्खनन के बाद बनी खदान और पोखर में डूबने के खतरे को देखते हुए माइनिंग क्लोज़र राशि से इलाके को ही संवार दिया. जिला पंचायत के जिला मिशन प्रबंधक ज्ञानेंद्र सिंह कहते हैं - "जिला प्रशासन ने महिलाओं को रोजगार देने के लिए इस खदान और पोखर को नया शेप दे दिया. दो किमी लंबे तालाब में एक रेस्ट्रोरेंट और 5 बोट की व्यवस्था की. ग्राम महिला संघठन में 32 समूह जुड़े हैं. इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बना दिया. यहां बोट चलाने से लगा कर उसके मैंटेनस का काम अब महिलाएं सीख गईं."
केनापारा का तालाब किनारे सुंदर नज़ारा जो विभाग ने विकसित कर दिया (Ravivar vichar)
कभी वीरान रहने वाली इन खदानों के बीच बने पर्यटक स्थल को देखने हर महीने 6 से 8 हजार पर्यटक हर महीने आते हैं. पहाड़ों और हरे जंगलों के बीच केनापारा छत्तीसगढ़ का बड़ा पर्यटक स्थल बन गया. समूह की अध्यक्ष पूजा आगे बताती है- "हमारी टीम ने अपनी-अपनी ड्यूटी तय कर रखी है. एक बार में छह और एक बार में पांच महिलाएं ड्यूटी पर होती हैं. मेरी साथी कमला बाई, शकुंतला और सुशीला बाई लाइफ गॉर्ड का काम संभालती है. पर्यटकों को लाइफ जेकेट पहनना और दूसरी जानकारी देना होता है. हम लोग 6 से 10 हजार रुपए महीना कमा लेते हैं."
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के केनापारा का तालाब जहां महिलाएं संचालित करती हैं बोट (Ravivar vichar)
इस योजना में कई ऐसी महिलाओं को भी काम मिला जो विधवा थीं और कुछ महिलाएं मजदूरी पर दूर-दूर जाती थीं.टीम की सदस्य सुशीला बाई कहती हैं - "पति के निधन के बाद बच्चे छोटे हैं. बहुत परेशानी थी. इस तालाब ने रोजगार दे दिया.लाइफ गॉर्ड के रूप में काम कर लेती हूं." इस तालाब में बोट में बैठ कर ही लोग रेस्ट्रोरेंट में जाते हैं.
पर्यटन को बढ़ावा और बढ़ते पर्यटकों को देखते हुए छत्तीसगढ़ के टूरिज़्म विभाग ने इस सेंटर को अपने अधीन लेने की इच्छा जताई. जिला पंचायत की सीईओ लीना कोसम कहती हैं - "यह बहुत ही सुन्दर जगह है. मुझे ख़ुशी है कि प्रशासन ने महिलाओं को रोजगार देने के लिए यह जगह विकसित की. हमारी शर्त है कि यदि टूरिज़्म डिपार्टमेंट इसे अपने आधीन लेता है तो भी इसमें महिलाओं को ही अवसर देने होंगे. परिसर में लगने वाले फ़ूड स्टॉल के लिए भी महिलाएं होंगी. यहां तक कि टिकट विंडो पर भी महिलाओं को ही रोजगार दिया जाएगा. आने वाले दिनों में तालाब में संचालित रेस्ट्रोरेंट का टेंडर भी समूह की महिलाओं को ही मिले, यह प्रयास किए जा रहें हैं."