मजदूरी कर अपने घर को बड़ी मुश्किल से चलाने वाली महिलाओं के हुनर को इतना निखारा कि उनके हाथों से बनी चीज़ें किसी छोटी दुकानों पर नहीं बल्कि मॉल की पहली पसंद बन गई. इंदौर (Indore) जिले के कई गांव की ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह (self help groups) से जुड़ीं और कुछ समय में ही अपनी मेहनत के बल पर आत्मनिर्भर बन गईं. जिले में महिलाओं के हाथों से बने ये वूडन बेग हों, जूट के के आइटम हों या सुंदर-सुंदर रेशम के धागों से बनी चूड़ियां और आकर्षक कड़े....सभी मॉल की शान बन गए.आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के प्रोडक्ट का पहला मॉल आगरा-मुंबई मार्ग के पास महू में है.
आजीविका मिशन के समूह की महिलाओं द्वारा तैयार अलग-अलग प्रोडक्ट्स ने इंदौर जिले में धूम मचा दी. गांव में बने इन प्रोडक्ट अब गली या मोहल्लों तक सिमित नहीं रह गए बल्कि सबसे एडवांस मार्केटिंग फील्ड में उतारा, जिसे ग्राहकों ने हाथों हाथ लिया.'वोकल फॉर लोकल' (Vocal for Local) की यह ऐसी पहली शॉप है जहां हेंड मेड प्रोडक्ट्स (handmade products) महिलाओं के समूह ही बना रहे. मॉल में समूह की सदस्य दीदी ही शॉप को चला रही. और यहां तक कि आजीविका मिशन की महिला ब्लॉक मैनेजर और असिस्टेंट मैनेजर सपोर्ट कर उन्हें प्रोत्साहित कर रही. महू के पास ट्रिनिटी मॉल (Trinity Mall, Mhow) में 'वोकल फॉर लोकल' बेस पर लगी शॉप की हेड रेखा चौहान कहती हैं-" मैं खुद उमरिया गांव के राजलक्ष्मी महिला समूह से जुड़ी.इस शॉप पर सभी तरह के हैण्ड मेड आइटम ग्राहक पसंद कर रहे. अभी यहां वूडन बैग्स, रेशम के धागे से बनी चूड़ियां,केमिकल से तैयार कड़े, जूट के सुंदर उपयोगी और सजावटी आइटम ग्राहकों की पसंद बन गए."
वोकल फॉर लोकल की शॉप जिसे एसएचजी चला रहा (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
यहां गांव सातेर, भेसलाय, लसूड़िया, सीतापट आदि जगह से ये हेंड मेड आइटम तैयार हो कर मॉल में रखे जा रहे. लसूड़िया की कविता और रचना कहती हैं -" पहले कोई ऐसा रोजगार नहीं था. समूह बनाया. मिशन ने हमें ट्रेनिंग दी. हम इंदौर मार्केट से कच्चा माल केमिकल और दूसरा सामान लाते हैं. ये चूड़ियां बहुत पसंद की जा रहीं हैं. ख़ास कर कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियां खरीद रहीं."
वूडन बैग्स के आकर्षक डिज़ाइन को लेकर खरीदार पल्लवी वर्मा कहती हैं -" मुझे वूडन बैग्स बहुत पसंद हैं. मुझे ख़ुशी है कि ये सभी प्रोडक्ट्स गांव की महिलाएं अपनी मेहनत और हाथों से बना रहीं. मैं तो चाहती हूं कि सभी शौक़ीन ग्राहकों को ये आइटम खरीदना चाहिए, जिससे गांव की महिलाएं और आत्मनिर्भर हो सके."
वोकल फॉर लोकल की शॉप (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
जिला पंचायत के आजीविका मिशन का यह पहला प्रयोग है. महू की असिस्टेंट ब्लॉक मैनजर आरती सिंह कहती हैं -"शॉप को नियमित खोला जा रहा है. पिछले पांच महीने में ग्राहकों की आवाजाही बढ़ी है. महिलाओं को अधिक से अधिक प्रोडक्स बनाने के लिए कहा जा रहा है. इन वूडन बैग्स का चयन सरस मेले के लिए भी हुआ है."
इंदौर में बड़ी संख्या में स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी महिलाएं अलग-अलग कारोबार से जुड़ कर कमाई कर रहीं. आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक हिमांशु शुक्ला कहते हैं -"जिले में यह मॉल में आजीविका प्रोडक्ट्स की शॉप का प्रयोग सफल रहा. महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की गई. उन्हें लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है. प्रयास है कि दूसरे समूह की महिलाएं भी अपने प्रोडक्ट्स यहां रखें. महिलाएं अपने घर से भी सामान बेच सकती हैं."
शॉप पर रखे वूडन बैग्स और दूसरे हेंड मेड आइटम (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
आजीविका मिशन का यह प्रयोग सफल रहा तो दूसरे जिले में भी आजीविका मिशन प्रोडक्ट्स से जुड़ी कॉमन शॉप्स खोली जा सकती हैं. प्रदेश में दीदी कैफे, मिलेट्स सेंटर, फ़ूड वे से अलग 'वोकल फॉर लोकल' की यह शॉप महिलाओं के आत्मनिर्भर बनाने और महिला सशक्तिकरण की दिशा में नया कदम है.