सलकनपुर (Salkanpur) गांव की लता दीदी की ज़िंदगी का बड़ा हिस्सा खेत में काम करते-करते निकल गया. कभी मजदूरी मिली, कभी नहीं. लता कहती है -" मुझे लगता था ऐसे ही आर्थिक तंगहाली में ज़िंदगी गुजर जाएगी. स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से जुड़ी. हमारी सलकनपुर देवी की मुझ पर कृपा हो गई. मंदिर का प्रसाद बनाने का काम मिल गया. मुझे अब अच्छी कमाई होने लगी."
इस गांव में लता दीदी हो या चंदा या सुकमती बाई, सभी की आर्थिक हालत इतनी ख़राब थी कि घर चलाना मुश्किल था. सभी के परिवार की कहानी एक जैसी थी. सलकनपुर विजयासन देवी मां के मंदिर के लिए (Bijasan Devi Maa Temple) प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने वाले लड्डू का काम स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं को दे दिया गया. नियमित काम मिलने से इन महिलाओं के परिवार में आर्थिक मजबूती दिखने लगी.
सलकनपुर देवी मां मंदिर में लड्डू का प्रसाद बनाती समूह की सदस्य (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
जिन महिलाओं ने बरसों खेत की मिट्टी में हाथ किए. तगारी उठाई. दो जून रोटी के लिए मजदूरी की. हाड़ तोड़ पसीना बहाया. आज वही मेहनती हाथों से बने प्रसाद के लड्डू मंदिर में महक रहे. सीहोर (Sehore) जिले के बुधनी ब्लॉक (Budhani Block) में स्थित प्रसिद्ध सलकनपुर देवी मंदिर में चढ़ाया जाने वाला प्रसाद (Prasad) अब ये महिलाएं ही बना रहीं. जिले के मालीवाया गांव में बन रहे इन लड्डू की महक अब पूरे देश फ़ैल रही. जिले के स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी महिलाओं की इस छोटी सी आहुति से ज़िंदगी संवर गई. विजयासन मां के इस मंदिर कैंपस में 'प्रसादम केंद्र' (Prasadam Kendra) जीती जागती देवी स्वरूप महिलाओं के हाथों में है.
सलकनपुर देवी मां मंदिर में चढ़ाए जाने वाला लड्डू का प्रसाद (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
सलकनपुर गांव के पास मालीवाया (Maleevaya) में इन खेतिहर-मजदूर महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (SHG) से जोड़ कर फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट (Food Processing Unit) लगा दी. यहां तक कि इन महिलाओं का हौसला बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) खुद पहुंचे और यूनिट को शुरू किया. इस यूनिट में लगभग 100 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिला. यूनिट में दाल तैयार करने के अलावा मसाले भी बनाए जा रहे. इसी के साथ सलकनपुर देवी मंदिर का प्रसाद लड्डू (Laddu) भी महिलाएं बना रहीं.
सलकनपुर गांव के 10 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को ग्राम संघठन (Gram Sangathan) में शामिल किया. संगठन अध्यक्ष रजनी मेहरा कहती है- " मंदिर ट्रस्ट (Temple Trust) और आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के बीच बात होने के बाद हमें काम मिला. कुछ महिलाएं मालीवाया यूनिट में लड्डू बना कर तैयार करती है. कुछ दीदियां मंदिर परिसर में 'प्रसादम केंद्र' में बैठती है. समूह की गायत्री कुमरे, सीमा इबने और भी कई दीदी हिसाब भी रखती है. दो लाख रुपए महीने का प्रसाद श्रद्धालु ले लेते है. नवरात्र और दूसरे त्योहारों में डेढ़ से 2 क्विंटल लड्डू का प्रसाद श्रद्धालु मंदिर में चढ़ाते है.इसका आर्थिक फायदा समूह को होता है."
सलकनपुर देवी मां मंदिर में लड्डू के प्रसाद का स्टॉल लगाती समूह की सदस्य (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
केवल नवरात्र में ही 35 लाख का प्रसाद समूह ने बेचा. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के जिला प्रबंधक (DM) ओमप्रकाश कुशवाह कहते हैं -" स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट वरदान साबित हुई. सलकनपुर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महेश उपाध्याय से मीटिंग कर समूह को प्रसाद बनाने और स्टॉल का काम मिला. नवरात्र में 35 लाख रुपए के लड्डू बिके. इसमें सारे खर्च काट कर संगठन को लगभग साढ़े छह लाख रुपए की कमाई हुई. इस यूनिट में दूसरे काम में अलग से महिलाओं को रोजगार मिल रहा."
यहां समूह से जुड़ी महिलाओं को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) दिनेश बरफा कहते है -" यह यूनिट सीहोर जिले के लिए बड़ी उपलब्धि है. इस फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट में लगभग 150 महिलाओं को अलग-अलग तरह से रोजगार मिल रहा. देश के प्रसिद्ध मंदिर में से एक सलकनपुर देवी मंदिर में प्रसादम केंद्र और दूसरी इकाई में 22 गांव के 48 समूह की सदस्य जुड़ी हुईं हैं. यहां तक कि चना दाल से बेसन भी अब यूनिट में तैयार करने से प्रसाद स्वादिष्ट हो गया."
मालीवाया की इस यूनिट के इंचार्ज (Unit Incharge) नर्मदा प्रसाद कासलीवाल बताते हैं- "यूनिट में सभी सुविधाएं हैं. इसमें एक ऑफिस भी संचालित किया जाता है. दाल, मसाले और प्रसाद के लिए अलग-अलग दीदियां काम करती हैं." कलेक्टर(DM) प्रवीण अढायच और सीईओ (CEO) जिला पंचायत (ZP) आशीष तिवारी ने समूह की महिलाओं को आश्वस्त किया कि किसी भी तरह सुविधाओं में कमी नहीं आने दी जाएगी. अधिक मार्केटिंग के लिए ट्रेनिंग भी दिलवाई जाएगी.
आस्थाओं का केंद्र सलकनपुर मंदिर
सलकनपुर देवी मंदिर का भव्य परिसर (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
विंध्याचल पहाड़ी पर स्थित यह विजयासन मंदिर आस्थाओं का केंद्र है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने यहां 'देवी लोक' (Devi Lok)बनाने की बात भी कही. श्रद्धालुओं की आस्थाओं को देखते हुए यहां सुविधाएं बढ़ाई गई. यहां 1600 सीढ़ियां हैं. इसके अलावा यहां रोप-वे भी है, जिससे पालकी में बैठ कर 12 श्रद्धालु एक साथ आ-जा सकते हैं. यहां अब पहुंच मार्ग को भी पक्का कर दिया गया.मान्यता है कि श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है. यहां खास दिनों और अवकाश में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इसके साथ किवदंती भी जुड़ी हुई है. मवेशी चराने वाले बंजारे एक युवक को छोटी बच्ची मिली और उसने इस पहाड़ी पर देवी की स्थापना करने को कहा. सदियों पहले हुई इस घटना के बाद माना जाता है कि बंजारा समाज (Banjara Samaj)ने इसकी स्थापना कर अपनी देवी मान लिया. समय के साथ इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ती गई.