खजुराहो में सैलानी चखेंगे ट्रेडिशनल बुंदेली स्वाद

पीढ़ी के लोग भूल चुके इस व्यंजन के स्वाद को चख सकेंगे. यहां तक कि खजुराहो में सैलानियों के लिए भी अब स्टॉल लगाया जाएगा. महुआ, बेर, बेल, कोदो, समा, बसारा, कुटकी जैसे वनोपज से ये व्यंजन तैयार किए जा रहे.

New Update
khajuraho

बुंदेली अनुभूति समूह की सदस्य वनोपज से आइटम बनाती हुई (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

बुंदेलखंड (Bundelkhand) अपने जायके को लेकर वापस अपने पुराने मिज़ाज़ पर लौटेगा. सदियों से विलुप्त हो चुकी परंपरागत व्यंजन कला (Traditional Food Art) को वापस थालियों में सजाया जाएगा. छतरपुर जिले की महिलाओं ने यह बीड़ा उठाया. आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं जहां इस मिशन से आत्मनिर्भर हो रहीं वहीं नई पीढ़ी के लोग भूल चुके इस व्यंजन के स्वाद को चख सकेंगे. यहां तक कि खजुराहो में सैलानियों के लिए भी अब स्टॉल लगाया जाएगा. बिजावर (Bijavar) में स्टॉल लगा कर इन महिलाओं ने यह शुरुआत की. जंगलों की उपज से तैयार यह आइटम पौष्टिक भी हैं. 

khajuraho

सदस्यों द्वारा तैयार महुआ के लड्डू और दूसरे आइटम (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

 महुआ, बेर, बेल जैसे वनोपज और कोदो, समा, बसारा, कुटकी जैसे वनोपज से ये व्यंजन तैयार किए जा रहे. बुंदेली अनुभूति स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की अध्यक्ष किरण मिश्रा  कहती हैं -"महुआ के लड्‌डू, महुआ के रसगुल्ला, मुरका, डुबरी, बिजौरे, बेर के बिरचुन, बेर के लड्‌डू, सोंठ के लड्‌डू, तिली का मुरका,उड़द दाल की बड़ी, आंवले का हलवा, बेल सेक पाउडर, बुंदेली सत्तू, महुआ कतली, अर्जुन छाल चाय, कचरिया सहित 28 प्रकार के आइटम  तैयार किए. यह हमारे समूह की महिलाओं ने खुद मेहनत से तैयार किए."

khajuraho

सदस्यों द्वारा तैयार महुआ के आइटम (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

 बुंदेलखंड (Bundelkhand) में लगभग 10 दशक पहले इसे पुरानी पीढ़ियां ये आइटम बना कर खाने में उपयोग करती थी. वक़्त के साथ ये संस्कृति (Culture) और खाने के आइटम विलुप्त हो गए. समूह की सचिव ममता पाठक कहती है - "समूह (SHG) के सदस्यों ने हर महीने 1100 रुपए इकट्ठा किए. शुरुआत में फायदा नहीं हुआ. वनोपज (Vanopaj) समिति के सचिव सचिव भास्कर खरे, सेल्स मैनेजर जितेंद्र वाजपई और क्वालिटी कंट्रोलर प्रिंस वाजपई भी हमारे समूह को गाइड करते हैं. खजुराहो (Khajuraho) में स्टॉल लगाने पर हमें बहुत अधिक मुनाफा होगा." ब्लॉक प्रबंधक एकता खरे बताती हैं -"समूह की सदस्यों में बहुत उत्साह है. उन्हें लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है. ट्रेडिशनल फ़ूड को खासकर युवा भी पसंद कर रहे. जिला पंचायत की सीईओ तपस्या परिहार ट्रेडिशनल विलुप्त हुए फ़ूड प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूचि लेकर गाइड कर रहीं हैं."   

khajuraho

सदस्यों द्वारा तैयार महुआ के आइटम (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

 वनोपज से बनाए जा रहे सभी आइटम हेल्थ को लेकर फायदेमंद हैं.समूह के सब आइटम हाइजेनिक फ़ूड (Hygienic Food) है. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) श्याम गौतम कहते हैं - "समूह (SHG)को प्रोत्साहित किया. महुआ लड्डू शुगर फ्री (Sugar Free) है. ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) कंट्रोल करेगा. महुआ तिल मुरका को खाने से पाचन अच्छा होता है. इसमें डुबरी तो ग्लूकोज का नेचुरल सोर्स है. बिजौरे की खासियत एंटी एलर्जिक (Anti Allergic) है. जबकि कचरिया झाड़ियों में उगने वाली बेल पर लगते हैं. इससे तैयार नमकीन से ख़राब कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) खत्म को खत्म करता है. दूसरे समूह की महिलाओं को भी ये ट्रेनिंग दी जाएगी."  

khajuraho

सदस्यों द्वारा तैयार महुआ के आइटम (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

 इस समूह में सदस्य मरियम भील, रमदा भील, मंजू भील, लछिया अहिरवार, रोशनी अहिरवार, संजो अहिरवार, अनामिका शांडिल्य, चंद्रकांता वाजपई , ज्योति नायक है. ये सभी इस काम से जुड़ीं हैं.सभी सदस्यों को उम्मीद है कि यदि ये स्टॉल खजुराहो में लगाया गया तो उनकी आर्थिक स्थिति में और सुधार आएगा.छतरपुर इलाके में वन विभाग और जिला प्रशासन के साथ जिला पंचायत के अफसर ऐसे और भी समूहों को प्रोत्साहित कर रहे जिससे बुंदेली संस्कृति (Bundeli Culture) और विलुप्त होती खाने की परंपरा को लौटा सकें.

छतरपुर जिले में समूह के कामकाज को लेकर जिला पंचायत की सीईओ तपस्या परिहार कहती हैं - "बिजावर ब्लॉक में समूह ने नई शुरुआत की है. जिले में और भी समूह अलग-अलग कामों से जुड़ें हैं. आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रमोट किया जा रहा है.जिले में काफी संभावनाएं हैं."    

SHG self help group Ajeevika Mission Bundelkhand Traditional Food Art Bijavar Khajuraho Hygienic Food Sugar Free Cholesterol Anti Allergic Bundeli Culture