भोपाल (Bhopal) के पास फंदा कला गांव की महिलाएं इन दिनों ख़ुशी से फूली नहीं समां रही. आखिर ये महिलाएं सीएम हाउस में शुरू होने वाले कैफे की मालकिन जो बन गई. हरिहर ग्राम संगठन (Harihar Gram Sangathan) की अध्यक्ष सोनम राजपूत कहती हैं - "आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) और दूसरे अधिकारियों ने हमारे गांव में आकर मीटिंग ली. कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी बड़ी जगह दीदी कैफे चलाने का मौका हमारी साथी दीदियों को मिलेगा. मुझे ख़ुशी है कि सीएम हाउस (CM House) में आने वाले मेहमानों को हम बहुत स्वादिष्ट भोजन और दूसरे आइटम परोसेंगे."
पिछले कुछ सालों से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का यह मिशन अब सीएम हाउस तक भी पहुंच गया. भोपाल में बने सीएम हाउस कैंपस में अब दीदी के हाथों का स्वाद संगम मिलेगा. यहां आने वाले दो सौ से ज्यादा विज़िटर्स एक साथ सभी तरह के टेस्टी फ़ूड का स्वाद चख सकेंगे. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बकायदा इसकी कमान संभाल ली. पिछले दस दिन से इस कैफे की ट्रायल चल रही, जिसका जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला. बहुत जल्दी ही सीएम शिवराज सिंह चौहान इस कैफे का शुभारंभ करेंगे.
सीएम हाउस में आजीविका स्वाद संगम कैंटीन का मुख्य गेट (Photo Credits: Ravivar vichar)
सीएम हाउस में 'आजीविका मिशन दीदी कैफे' की व्यवस्था देख रहे एसआरजी पर्सन ध्रुवल तिवारी कहते हैं - "इस कैफे को पूरी तरह तैयार कर लिया है. कैफे के संचालन में पांच समूह कि फ़िलहाल 11 दीदियां कामकाज संभालेंगी. खास बात यहां भोजन और दूसरे खाने के आइटम में शुद्धता का पूरा ध्यान रखा गया है. यह पूरी तरह हाईटेक है. यहां सभी सदस्य दीदी को ट्रेनिंग दे दी. कर्मचारी दीदी कम्यूटर ऑपरेट करना सीख चुकीं. ये ग्राहकों को कम्प्यूटर पर बिल तैयार कर दे सकेंगी. ट्रायल में उम्मीद बन गई कि कैफे से समूह सदस्यों को अच्छी आमदानी होगी."
सीएम हाउस में शुरू होने वाले केंटीन में नाश्ता और चाय बनाती समूह सदस्य (Photo Credits: Ravivar vichar)
सीएम हाउस में रोजाना बड़ी संख्या में विज़िटर्स के अलावा अधिकारी और कर्मचारी काम करते हैं. फ़िलहाल इन्हें कैंटीन सुविधा के लिए काफी दूर जाना पड़ता है. इस कैफे से जहां विज़िटर्स सहित सभी को फायदा मिलेगा वहीं समूह कि सदस्यों को आत्मनिर्भर बनाने में मिशन सफल होगा. यह कैंटीन बहुत अधिक सुरक्षित और संवेदनशील जगह होने की वजह से स्टेट टेक्निकल एक्सपर्ट प्रवीण दुबे ने लगातार स्पॉट विजिट कर फ़ाइनल किया.
इस कैफे में शामिल समूह सदस्य रानी मेवाड़ा, वृंदा मेवाड़ा कहती हैं - "हमें ट्रेनिंग लेकर बहुत हिम्मत आ गई. कैफे अच्छे से चले इसके लिए सभी दीदी सेवाएं देंगी. यहां सभी तरह का स्वादिष्ट भोजन मिलेगा. सात्विक थाली से लगा कर फलाहार क आइटम होगा.यहां तक की छाछ और लस्सी भी मेहमान के सामने ही बना कर स्वागत करेंगे. अब अपने कैफे में सीएम का इंतज़ार है. आत्मनिर्भर बन कर हम अब सम्मान की जिंदगी जी रहे." इस समूह में सीमा मेवाड़ा, सुधा लोधवाल, पूजा भारती, लक्ष्मी मैथिल, निर्मला, मंजू आदि शामिल हैं.
सीएम हाउस कैंटीन में कम्यूटर पर बिल बना कर ग्राहक को देती हुई सदस्य (Photo Credits: Ravivar vichar)
सीएम हाउस में कई दिनों से दीदी कैफे की शुरुआत का इंतज़ार था. आजीविका मिशन की जिला परियोजना प्रबंधक रेखा पांडेय कहती हैं - "यह हमारे लिए बड़ा मिशन था. इसमें हम सफल हुए. समूह की महिलाओं ने दीदी कैफे चलाने के लिए बहुत उत्साह दिखाया. उनकी ट्रेनिंग पूरी हो गई. फ़िलहाल 11 दीदियों में छह सदस्यों ने वर्किंग कैपिटल के रूप में 20-20 हजार रुपए मिलाए. इक्कठा हुई राशि से शुरुआत में सामान लाएंगे. भविष्य में इस कैफे पर मिलेट्स से बनी चीज़ों को भी शामिल करने का प्रावधान है."
ट्रायल रन को लेकर सभी अधिकारी समीक्षा कर रहे हैं. स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर गरिमा साईं सुंदरम ने बताती है - "इस प्रोजेक्ट की मैंने खुद समीक्षा की. समूह को सीएम हाउस में खास हॉल दिलवाया गया. दो सौ विज़िटर्स एक साथ इस कैंटीन में बैठ सकते हैं. पूरे प्रदेश ऐसे प्रोजेक्ट सफल हो रहे. समूह की सदयों का आत्मविश्वास बढ़ा है."
आने वाले दिनों में मुख्य मंत्री शिवराज सिंह खुद इस दीदी कैफे का शुभांरभ कर सकते हैं. जिला पंचायत, भोपाल के सीईओ ऋतुराज सिंह ने भी इस कैफे को लेकर निर्देश दिए कि समूह सदस्यों का मनोबल बढ़ाया जाए. साथ ही कहा कि वीवीआईपी मूवमेंट होने की वजह से मर्यादाओं का भी खास ध्यान रखा जाए. ख़ुशी है कि समूह की सदस्यों को रोजगार के नए अवसर मिले.