एसिड ने दिए कुछ ज़ख्म...सपने अभी ज़िंदा हैं

लक्ष्मी की कहानी बहुत प्रेरणादायक है. देश की हर महिला को लक्ष्मी से कुछ न कुछ सीख ज़रूर मिलेगी. लक्ष्मी कहती है, "जिस चेहरे के साथ मुझे कभी जीने की इच्छा नहीं थीं, आज उसी से प्यार करने लगी हूं।"

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रिसिका जोशी
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Lakshmi Agarwal

Image Credits: Ravivar Vichar

25 रूपए जैसे मामूली दाम में खरीदी जाती है, जिसका इस्तेमाल कर किसी की ज़िन्दगी बर्बाद कर देते है कुछ लोग. किराने की दुकान पर मिल जाती है एसिड की बोतल, बिना किसी पूछताछ के खरीद ली जाती है. सफाई की इस्तेमाल कर लो, या किसी को ज़िन्दगी भर के दाग देने के लिए! आए दिन आती रहती है ये खबरे, अब तो लोगों के लिए आम बात बन चुकी है. सज़ा के नाम पर 10 साल की सज़ा. जिसने किया, वो तो छूट भी जाए, पर जिस पर हुआ उसे तो हर दिन खुद से सिर्फ सवाल करना है, मैंने ऐसा क्या किया था, जो मेरे साथ ये हुआ?

ऐसी ही एक लड़की, जिसकी ज़िन्दगी ख़राब कर दी गयी थी, सिर्फ इसीलिए क्यूंकि उसने खुद से 15 साल बड़े इंसान के साथ रिश्ते में आने से मना कर दिया. वो पढ़ना चाहती थी, आगे बढ़ना चाहती थी, बहुत बड़ी सिंगर बनाना चाहती थी, लेकिन उसके सारे सपने तोड़ने की कोशिश करी उस आदमी ने. लक्ष्मी अग्रवाल, एक ऐसा नाम, जो आज पुरे देश में हर इंसान जनता है. कारण ये नहीं की वो एक एसिड अटैक सर्वाइवर है, बल्कि ये है, कि ये सब होने के बाद भी उन्होंने हर नहीं मानी. देश में एसिड बैन करवाने के लिए पूरी ताकत लगा दी. 

लक्ष्मी का जन्म 1 जून 1990 को एक सामान्य से परिवार में हुआ. वह बचपन से होनहार थीं, बहुत अच्छा गाना जाती थीं, घर में परेशानी होने के बावजूद भी खुश रहती और ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करने का सपना देखती थीं. नईस खान नाम था उसके इंसान का, जिससे इस बच्ची की ख़ुशी नहीं देखी गयी. 15 साल की छोटी सी उम्र में, लक्ष्मी से उसकी ज़िन्दगी छीनने की कोशिश कर नईस ने. 

अटैक के बाद, लक्ष्मी तड़प रही थीं, रो रही थीं, चिल्ला रही थीं. शीशे में खुद को देखकर डर जाती थीं. हर दिन घुट घुट कर जी रही थीं. लेकिन हार मानने के बारे में कभी नहीं सोचा लक्ष्मी ने. कभी किसी और के साथ ऐसा ना हो जाए, इसीलिए कोर्ट में एसिड बैन करने की अपील की. NGOs के साथ जुड़कर काम करने लगी. एसिड हमले की पीड़िताओं को न्याय दिलाने, उन्हें समाज में बिना किसी डर और शर्म के नजरे उठाकर चलने के लिए प्रोत्साहित करती हैं लक्ष्मी.

एक लड़की जिस पर एसिड फैंककर उसे ख़त्म करने की कोशिश की गयी हो, उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति हद से ज़्यादा नाज़ुक होती है. वो चाहे हो हार मानना उसके लिए सबसे आसान है. लेकिन इतना होने के बावजूद भी अगर वह हार नहीं मान रही तो फिर उसे तोड़ पाने की ताक़त इस पूरी दुनिया में किसी के पास नहीं होगी. लक्ष्मी की यह कहानी बहुत प्रेरणादायक है. देश की हर महिला को लक्ष्मी से कुछ न कुछ सीख ज़रूर मिलेगी. लक्ष्मी कहती है, "जिस चेहरे के साथ मुझे कभी जीने की इच्छा नहीं थीं, आज उसी से प्यार करने लगी हूं।" लक्ष्मी ने साबित कर दिया कि हार मानना किसी भी बात का उपाय नहीं हो सकता. भले ही कितनी भी परेशानियां आए, उनका डट कर सामना करना ही समझदारी है.

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