महिला ने बढ़ाई खेती की पैदावार

एक आदिवासी महिला कृषक असंतलिया पंचायत की सुनीता माहतो, जो रूट इंटेन्सिफिकेशन तकनीक (root intensification technique) का प्रयोग कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गईं. 

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रिसिका जोशी
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Image Credits: Patrika

खेत में काम करना हो, घर पर बच्चो को संभालना हो, या दोनों, एक महिला हर कार्य में पुरुष से कही आगे होती हैं. हर कम में कंधे से  कन्धा मिलाकर चलना, अब महिलाओं को आ चूका हैं. महिला किसान अब सिर्फ खेत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि नई तकनीक और कम संसाधनों का उपयोग कर पैदावार बढ़ाने के साथ ही ऑर्गेनिक खाद्य (organic fertiliser) सामग्री उपलब्ध करवाने में भी आगे हैं. एक आदिवासी महिला (Adivasi woman) कृषक असंतलिया पंचायत की सुनीता माहतो, जो रूट इंटेन्सिफिकेशन तकनीक (root intensification technique) का प्रयोग कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गईं. 

रूट इंटेन्सिफिकेशन कृषि की वह तकनीक है, जिसमें कम संसाधनों का उपयोग करते हुए, पर्यावरणीय प्रभावों को कम कर उपज बढ़ाई जाती है. सुनीता का परिवार धान की खेती के सहारे भी गुजर-बसर कर रहा था, लेकिन जब वह वर्ष 2003 में स्वयं सहायता समूह (SHG) कमल फूल महिला मंडल की सदस्य बनीं तो कृषि के प्रति उनका रुझान बढऩे लगा. प्रदान NGO की ओर से गठित यह समूह किसानों को खेती की नई तकनीक का प्रशिक्षण देता है. सुनीता नियमित कृषि प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेनी लगीं और अपने साथ अन्य किसानों को प्रशिक्षित करना शुरू किया. उन्होंने किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे अच्छी गुणवत्ता के बीजों एवं ऑर्गेनिक खाद की कमी और फसलों के प्रबंधन संबंधी समस्याओं को दूर कर दिखाया. वे बताती हैं, "मैं बीज बैंक तैयार कर रही हूँ, ताकि गांव में कम दाम पर उत्तम किस्म के बीज मिल सकें." इस महिला की कड़ी मेहनत और समर्पण से गांव की तस्वीर बदल गई. इन्होने साबित कर दिया की महिलाएं ठान लें तो हर मुश्किल को आसान कर सकतीं है.

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