युवाओं की फैशन बने टोबेको हैबिट के खिलाफ उठी मुहिम

'वर्ल्ड एंटी टोबेको डे' पर ऐसी कुछ समाजसेवी लोग और संस्थाओं के सक्रीय सदस्यों से मिलवाते हैं जो देश के युवाओं के स्वास्थ्य को बचाने के लिए समाज में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. खास बात यह है कि इस मुहिम में महिलाएं समूह में जुड़ कर जगह-जगह अभियान चला रही हैं.

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नशा मुक्ति के प्रचार के लिए निकले तारक पारकर (Image Credits: Ravivar vichar)

जहां युवाओं में फैशन और आधुनिकता के नाम पर टोबेको यूज़ करने का ट्रेंड बढ़ता हुआ दिख रहा वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो एंटी टोबेको मूवमेंट को कामयाब बना रहे हैं.न केवल शहरों बल्कि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में लोग इस मिशन को आगे बढ़ा रहे. नतीजा यह रहा कि हाल के एक सर्वे में लगभग 80 लाख लोग टोबेको को छोड़ चुके हैं. कुछ लोग ऐसी ही संस्थाओं का सहारा लेकर छोड़ने कि कोशिश में लगे हैं. कई गैर सरकारी समाज सेवी संघठन और निजीतौर पर लोग अपनी सेवाएं दे रहें हैं. 'वर्ल्ड एंटी टोबेको डे' (World Anti tobacco Day) पर ऐसी कुछ समाजसेवी लोग और संस्थाओं के सक्रीय सदस्यों से मिलवाते हैं जो देश के युवाओं के स्वास्थ्य को बचाने के लिए समाज में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. खास बात यह है कि इस मुहिम में महिलाएं समूह में जुड़ कर जगह-जगह अभियान चला रही हैं.  

 

18 हजार युवाओं को किया नशे से दूर, 2 हजार छात्र बने नशा मुक्ति दूत   

तारक पारकर. उम्र 66 साल. रिटायर प्रधान आरक्षक और फोरेंसिक साइंस में एक्सपर्ट. खरगोन और निमाड़ के इलाके में पिछले 46 साल से एंटी टोबेको मूवमेंट चला रहे हैं. तारक अब तक 20 हजार किमी से ज्यादा पैदल यात्रा कर चुके हैं.मकसद सिर्फ नशा मुक्ति अभियान. तारक पारकर बताते हैं - " जब मुझे लगा कि लोगों टोबेको के आदी हो रहे,मैंने पुलिस सेवा के अलावा नशा मुक्ति अभियान को मिशन बना लिया. साल 1978 में इसको लेकर पहली पैदल यात्रा बुरहानपुर से नेपाल तक की. इसके बाद मेरा यह सिलसिला थमा नहीं. अब तक 10 से ज्यादा बार पैदल यात्रा अलग-अलग स्थानों की कर चुका हूं. मुझे ख़ुशी है कि अब तक 18 हजार युवाओं को मैं तंबाकू छुड़वा चुका हूं. अलग-अलग संस्थाओं में जाकर विद्यार्थियों को नशा मुक्ति दूत बनाए. लगभग मेरी टीम में 2 हजार दूत बन गए,जो नशे के आदी लोगों को प्रेरित कर नशे से दूर कर रहे."  

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नशामुक्ति अभियान के लिए धावक मिल्खा सिंह से भी मिले (Image Credits: Ravivar vichar)

तारक पारकर को कई संघठन सम्मानित कर चुके हैं. उनके मिशन को हॉकी के जादूगर ध्यानचंद और उनके बेटे हॉकी में ओलंपिक कप्तान रह चुके अशोक ध्यानचंद भी समर्थन दे चुके हैं.पिछले दिनों तिरंगा लेकर वे अमरनाथ यात्रा तक गए और पूरी यात्रा में नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित किया. तारक पारकर आगे बताते हैं - " मैंने स्लोगन दिया जो काफी चर्चित रहा.  'नशे को छोड़िए, स्वस्थ रहिए. पैदल चलिए ,खेलों से जुड़िए.' इस स्लोगन से ही मैं अपना मिशन जारी रख रहा हूं." तारक पारकर को आईजी इंदौर देहात राकेश गुप्ता, खरगोन के पुलिस अधीक्षक रहे अमित सिंह सहित कई प्रशासनिक अधिकारी भी समर्थन देकर यात्रा में शामिल हुए हैं.

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अमरनाथ यात्रा में तिंरगा लिए तारक पारकर (Image Credits: Ravivar vichar)

12 लाख लोग हर साल मौत के मुंह में 

देश में ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे 2016 -17 की रिपोर्ट में साढ़े बारह लाख लोग हर साल दम तोड़ देते हैं. रिटायर सिविल सर्जन डॉ. दिलीप आचार्य ने चिंता जताते हुए कहा - " हमारे यहां 2003  में टोबेको एक्ट और 2019 में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के खिलाफ एक्ट आया. बावजूद एक्ट सख्ती से लागू नहीं होने के कारण युवा सहित कई लोग इस नशे में डूबे हुए हैं. पूरी दुनिया में लगभग 80 लाख लोग तंबाकू खाने से मारे जा रहे हैं.साथ ही कई दूसरी बीमारी ओरल कैंसर सहित कई बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. " डॉ. आचार्य एंटी टोबेको मुहिम के लिए जगह- जगह हिस्सा ले रहे. वे इस सिलसिले में जापान और अबुदाबी के सेमिनार में भी हिस्सा ले चुके हैं. वे लगातार बनाए गए एक्ट को सख्ती से लागू करने की मांग कर रहे हैं.        

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