मासिक धर्म में 'तारिणी' का साथ

अर्तिका सिंह को जब पता चला कि मुर्शिदाबाद में महिलायें अब केवल कपड़े के पैड इस्तेमाल कर रही हैं तो खुशी के मारे रोंगटे खड़े हो गए. मुर्शिदाबाद समुदाय उन ग्रामीण समुदायों में से एक है, जिनके साथ अर्तिका सिंह की फाउंडेशन ने जागरूकता फैलाने का काम किया.

author-image
मिस्बाह
New Update
tarini foundation

Image Credits: Local Samosa

माहवारी स्वच्छता जागरूकता (Menstrual Hygiene Awareness) का अहम भाग सस्टेनेबल मेंस्ट्रुएशन (Sustainable Menstruation) को बढ़ावा देना है. सस्टेनेबल मेंस्ट्रुएशन उन मासिक धर्म उत्पादों के इस्तेमाल पर जोर देता है जो पर्यावरण के नज़रिये से सुरक्षित हो और जिसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सके. इसी समझ को ग्रामीण महिलाओं तक ले जाने के लिए 2018 में शुरू किया गया, तारिणी फाउंडेशन ठोस कदम उठा रहा है. वह ग्रामीण समुदायों को कपड़े के पैड बनाना सिखाते है.  

Tarini foundation

Image Credits: The Logical Indian

अर्तिका सिंह (Artika Singh) को जब पता चला कि मुर्शिदाबाद (Murshidabad) में महिलायें अब केवल कपड़े के पैड (cotton pad) इस्तेमाल कर रही हैं तो खुशी के मारे रोंगटे खड़े हो गए. मुर्शिदाबाद समुदाय उन ग्रामीण समुदायों में से एक है, जिनके साथ अर्तिका सिंह की फाउंडेशन ने मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM), सस्टेनेबल मासिक धर्म और प्रजनन स्वास्थ्य (reproductive health) के बारे में जागरूकता फैलाने का काम किया. हालांकि यह पहली बार नहीं था जब अर्तिका ने समुदायों में सकारात्मक बदलाव देखे, लेकिन वह यह देखकर खुश थी कि उनका एनजीओ कैसे बदलाव का ज़रिया बन गया है. मुर्शिदाबाद में महिलाओं ने कपड़े के पैड का इस्तेमाल तब शुरू किया जब उनके साथ लगातार कई वर्कशॉप की गई. 

tarini foundation

Image Credits: Local Samosa

तारिणी फाउंडेशन (Tarini Foundation) के कहानी सितंबर 2018 में शुरू हुई, जब अर्तिका दिल्ली के हंसराज कॉलेज से एंथ्रोपोलॉजी में ग्रेजुएशन कर रही थी. तभी उन्होंने ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण समुदायों के लिए काम करने की योजना बनाई. वे अपने कॉलेज के हर सामाजिक कार्यों में शामिल रहती. तभी उन्होंने मासिक धर्म स्वच्छता के लिए काम करने का मन बनाया. मासिक धर्म स्वच्छता पर जागरूकता की अहमियत को महसूस करते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में तारिणी फाउंडेशन की शुरुआत की, जो 24 वर्षीय अर्तिका का होमटाउन भी है.

अपने प्रोजेक्ट्स के अंतर्गत समुदाय के कुछ लोगों की पहचान करके उन्हें धन जुटाने के तरीके सिखाये जाते हैं. उन्हें पैड की डिजाइनिंग और मशीनों को चलाना भी सिखाया जाता है. काम शुरू करने के लिए उन्हें कच्चा माल मुहैया कराया जाता है. महिलाएं, जैसा कि अर्तिका ने देखा, मासिक धर्म के बारे में बात करने में झिझकती थीं. "यह महसूस करने पर, हमने इन महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करने में भी खुद को शामिल किया, जहाँ वे मासिक धर्म से संबंधित मुद्दों पर आसानी से बात कर सकें," उन्होंने कहा.

tarini foundation

Image Credits: Local Samosa

अर्तिका, प्रशिक्षित ऑन-फील्ड मासिक धर्म और यौन स्वास्थ्य शिक्षक भी हैं. उन्होंने डॉक्टरों के साथ मिलकर सहारनपुर, पटना, मुर्शिदाबाद और दिल्ली में समुदायों के लिए कई कार्यशालाओं का आयोजन किया है. उन्होंने स्कूलों, कॉलेजों में प्रजनन स्वास्थ्य पर अवेयरनेस वर्कशॉप आयोजित की. अब तक, अर्तिका अलग-अलग परियोजनाओं के ज़रिये जुड़कर 5 हज़ार से ज़्यादा लड़कियों के साथ काम कर चुकी है. मासिक धर्म के लिए अक्सर 'महिना' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. प्रजनन स्वास्थ्य और यौन शिक्षा पर जागरूकता फैलाने के लक्ष्य से सहारनपुर में NGO ने 'प्रोजेक्ट माहिना' (Project MAHINA) की शुरुआत की.

जब ज़मीनी स्तर पर काम करते हैं तो लोगों की परेशानियों और चुनौतियों को पास से समझने का मौका मिलता है. समुदाय की भागीदारी से इन चुनौतियों को दूर किया जा सकता है. 

Project MAHINA Tarini Foundation Murshidabad Sustainable Menstruation Menstrual Hygiene Awareness