ट्राइबल कनेक्ट: आदिवासी राइट्स एक्टिविस्ट के बढ़ते कदम

अपनी टीम के सहयोग से आदिवासी समुदाय के लिए गांवों में शिक्षण केंद्र, सामुदायिक केंद्र और शौचालय ब्लॉक बनाने का काम शुरू किया. अपने लक्ष्य की ओर एक कदम आगे बढ़ाते हुए, अनन्या पॉल ने 2019 में ट्राइबल कनेक्ट नाम से अपने NGO की शुरुआत की.

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मिस्बाह
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Image credits: hatkestory

बचपन से ही अनन्या पॉल डोडमानी (Ananya Paul Dodmani ) का ज़्यादातर समय आदिवासी (Adivasi) लोककथाएं सुनने में गुज़रता. उनकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में आने वाली चुनौतियों के बारे में जानती तो उनकी मदद करने की कोशिश करती. असम (Assam) के एक छोटे से आदिवासी शहर लुमडिंग में, जब अनन्या आठवीं कक्षा में थी, उन्होंने देखा कि उनकी केयरटेकर के साथ दुकानदार धोखा-धड़ी कर रहा था क्योंकि उन्हें 10 और 20 रुपये के नोटों के बीच अंतर नहीं पता था. यह देख, उन्होंने युवा आदिवासी बच्चों को तीन बुनियादी बातें सिखाना शुरू की - अपना नाम कैसे लिखें, भारतीय मुद्रा की पहचान, और स्टेशनों/सड़कों पर लटके संकेतों और बिलबोर्ड का मतलब. यहीं से शुरू हुई आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता बनने की यात्रा. 

आदिवासी समुदाय से न होने के बावजूद, अनन्या उनकी परेशानियों के लिए संवेदनशील थी, क्योकि उन्होंने करीब से आदिवासी समुदाय को जूझते देखा. भोजन, पानी, घर जैसी प्राथमिक ज़रूरतें तक पूरी नहीं हो पाती. हाई स्कूल के दौरान, अनन्या को एहसास हुआ कि शिक्षा ही एक ऐसा तरीका है जो उन्हें सशक्त बना सकता है. इस सोच के साथ, उन्होंने पड़ोस के बच्चों और महिलाओं को पढ़ाना शुरू कर दिया. कॉलेज के छात्र संगठनों के सहयोग से एक्सचेंज प्रोग्राम और मासिक धर्म समाधान जागरूकता (Menstrual Hygiene Awareness) जैसे कई जीवन कौशल (life skill) से जुड़ी कार्यशालाएं (workshops) मुफ्त में आयोजित करना शुरू की. 

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अनन्या ने ऐसे गांवों और बस्तियों में काम शुरू किया जहां शिक्षण केंद्र (study centers), सामुदायिक हॉल, शौचालय, बिजली, कुछ भी नहीं था. कई बार वो थक कर मदद मांगना चाहती, सिर्फ समुदाय के लिए नहीं, पर अपने लिए भी. लोगों को समझाना, संसाधन जुटा पाना काफी मुश्किल था. उन्होंने हार न मानते हुए, छोटे-छोटे कदम उठाना शुरू किये. लगातार काम करते रहने से ग्रामीणों ने उनकी बातों पर ध्यान देना शुरू किया. स्थानीय युवा मदद के लिए आगे आने लगे. युवाओं ने जागरूकता की ज़रुरत को समझा और समुदाय के हित के लिए स्वेच्छा से काम संभाला. कुछ ही समय में एक बड़ी टीम बन गई.

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अपनी टीम के सहयोग से, गांवों में शिक्षण केंद्र, सामुदायिक केंद्र और शौचालय ब्लॉक बनाने का काम शुरू किया. इन कामों के लिए उन्होंने खुद की जमा धनराशि का इस्तेमाल किया. अनन्या कहती हैं, " मैं लगातार सीख रही हूं, ऊंचे लक्ष्य हासिल करने की कोशिश में हूं. मैं जानती हूं कि मुझे इस क्षेत्र की समस्याओं को दूर करना ही होगा. " 

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अपने लक्ष्य की ओर एक कदम आगे बढ़ाते हुए, अनन्या पॉल ने 2019 में ट्राइबल कनेक्ट (Tribal connect) नाम से अपने एनजीओ (NGO) की शुरुआत की. प्रोजेक्ट अन्नपूर्णा, प्रोजेक्ट लल्ली, प्रोजेक्ट ज्ञान, प्रोजेक्ट हैप्पी फूड बॉक्स, प्रोजेक्ट वॉर्मथ, प्रोजेक्ट विंग्स, प्रोजेक्ट राहत, रूरल लाइवलीहुड सस्टेनेबल मिशन, द मॉनसून फ्रेंडशिप प्रोजेक्ट, प्रोजेक्ट चिरायु जैसे प्रोजेक्ट्स जमीनी स्तर पर बदलाव लाने का काम कर रहे हैं. सतत मासिक धर्म कार्यक्रम के साथ पूरे भारत में 80 हज़ार से ज़्यादा महिलाओं तक पहुंचे और उन्हें मुफ्त में बायोडिग्रेडेबल पैड तैयार करना सिखाया ताकि इन संकटग्रस्त आदिवासी महिलाओं को आमदनी का ज़रिया मिल सके. अनन्या ने अकेले ही पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के कई पिछड़े हुए गांवों में 146 शिक्षण केंद्र (Learning Centers) शुरू किए.

करमवीर चक्र पुरस्कार विजेता, 2019 (Karamveer Chakra awardee, 2019), का कहना है, "मैं  ग्रामीण समुदायों (rural communities) में बदलाव की लहर जारी रखना और उन्हें बेहतर जीवन पाने में मदद करना चाहती हूं जिसके वे हकदार हैं." 

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