'वेस्ट वॉरियर' का सफाई वॉर

जोडी अंडरहिल, एक विदेशी, ने पहाड़ियों को साफ करने के लिए सक्रिय आंदोलन शुरू किया और एक एनजीओ का गठन किया जिसका नाम था-वेस्ट वॉरियर्स. एक युवा ब्रिटिश यात्री के रूप में, जोडी अंडरहिल ने 2008 में भारत का दौरा किया और देश की सुंदरता ने उनका दिल जीत लिया.

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मिस्बाह
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भारत हर साल 62 मिलियन टन कचरा पैदा करता है. लगभग 43 मिलियन टन एकत्र किया जाता है, जिसमें से लगभग 12 मिलियन टन का उपचार किया जाता है, और 31 मिलियन टन को लैंडफिल साइट्स में फेंक देते हैं. यह भूस्खलन और कई तरह के बीमारियों का एक बड़ा कारण बनता है. इससे निपटने के लिए जोडी अंडरहिल, एक विदेशी, ने पहाड़ियों को साफ करने के लिए सक्रिय आंदोलन शुरू किया और एक एनजीओ का गठन किया जिसका नाम था - वेस्ट वॉरियर्स. एक युवा ब्रिटिश यात्री के रूप में, जोडी अंडरहिल ने 2008 में भारत का दौरा किया और देश की सुंदरता ने उनका दिल जीत लिया. जब उन्होंने देखा कि भारत में कचरे की समस्या कितनी गंभीर है, तो उनका दिल टूट गया था. उन्होंने 'माउंटेन क्लीनर्स' नाम से एक स्वैच्छिक संगठन शुरू किया और त्रिउंड से एक साप्ताहिक सफाई का आयोजन किया.

समय के साथ, और अधिक लोग जुड़ते चले गए. उन्होंने महिंद्रा स्पार्क द राइज प्रतियोगिता में उपविजेता के रूप में लगभग 1.5 लाख रुपये जीते और जल्द ही बॉलीवुड सुपरस्टार चिरंजीवी ने उनके काम से प्रभावित होकर 5 लाख रुपये दिए. 2012 में, पूरे देश को साफ करने के सपने के साथ, जोडी ने देहरादून में वेस्ट वॉरियर्स एनजीओ की शुरुआत की. जोडी को - 'गारबेज गर्ल' और 'वेस्ट वॉरियर' के नाम से भी जाना जाता है. एक ब्रिटिश पर्यटक, जिसने हिमालय की सफाई और हमारी प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है.

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टूरिस्म यानि पर्यटन से भारत 13.2 लाख करोड़ रूपए कमाता है. लेकिन टूरिस्म की वजह से संवेदनशील जगहों में प्रदूषण और गंदगी की समस्याएं बढ़ती है. नीति आयोग और विश्व बैंक की रिपोर्ट का अनुमान है कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) अब सालाना लगभग आठ मिलियन मीट्रिक टन कचरा पैदा करता है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश ने 2010 के बाद से 400 मिलियन से अधिक पर्यटकों का स्वागत किया. जब सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की बात आती है तो यह सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रणालियों की कमी के कारण, इस कचरे का 60% पहाड़ी ढलानों, जंगलों और जल निकायों पर फेंक दिया जाता है, जिससे पानी में प्रदूषण बढ़ जाता है. स्थानीय वनस्पतियों और जीवों की 30,000 से अधिक प्रजातियों पर इसका बेहद खराब प्रभाव पड़ा है, जिनमें से कुछ दुर्लभ हैं और विलुप्त होने के कगार पर हैं. 

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वेस्ट वॉरियर्स ने 10 साल पूरे कर लिए हैं और इस दशक में कचरे से संबंधित मुद्दों से निपटने और व्यवस्थित समाधान खोजने के अपने मिशन में बहुत कुछ हासिल किया है. अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के माध्यम से, उन्होंने दिखाया है कि डेडिकेटेड लोगो की एक छोटी सी टीम कितना बड़ा प्रभाव डाल सकती है. वेस्ट वॉरियर्स के सीईओ विशाल कुमार के नेतृत्व में, टीम ने आठ अलग-अलग जगहों पर काम शुरू किया है, जहां वे कचरे से संबंधित अलग-अलग चुनौतियों से निपट रहे हैं. 

आज देशभर में हमे ऐसे लोगों और संस्थाओं की ज़रुरत है जो पर्यावरण की ख़ूबसूरती को बचाने में सहयोग दे सके ताकि आने वाली पीढ़ी के देखने के लिए इन जगहों की ख़ूबसूरती और प्राकृतिक विरासत को बचाया जा सके.

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