मुरैना में घुल रही शहद की मिठास

मुरैना में शहद की मिठास भी घुल रही है. शहद उत्पादन को लेकर मुरैना एक नई पहचान बना रहा है. जिले आजीविका मिशन से जुड़े कई स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी शहद उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गईं.

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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नीमच जिले की मीनाक्षी धाकड़ भी शहद उत्पादक अपनी तैयार की कॉलोनी में (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

मुरैना जिला यानि ख़ास स्वाद वाली गजक की पहचान. लेकिन समय के साथ मुरैना में शहद की मिठास भी घुल रही है. शहद उत्पादन को लेकर मुरैना एक नई पहचान बना रहा है. जिले आजीविका मिशन से जुड़े कई स्वयं सहायता समूह (Self Help Group- SHG) की महिलाएं भी शहद उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गईं. इसके अलावा शहद उत्पादन से कई किसान और शहद उत्पादक जुड़े, जिसमें उनके परिवार की महिलाएं प्रमुख रूप से भूमिका निभा रही. 

मुरैना में आजीविका मिशन, जिला प्रशासन और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक इसमें खास रूचि ले रहे. इस जिले में लगभग 6 हजार लोग शहद उत्पादन (Honey Production) से जुड़े हुए हैं. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सैकड़ों महिलाएं भी अब इस कारोबार से जुड़ कर अलग-अलग राज्यों में शहद बेच रहीं है. 

धूरकुडा गांव में मां संतोषी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष रेखा धाकड़ कहती है - "मैंने 2018 में समूह का गठन किया. मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग ली. अभी मेरे पास 300 बॉक्स की कॉलोनी है.पिछले साल हमने 7 लाख रुपए का कारोबार किया था. पहाड़गढ़ में प्रोसेसिंग यूनिट जल्दी शुरू होना चहिए, जिससे ज्यादा आदिवासी महिलाओं को काम मिल सके." गांव मिरघान के बजरंग स्वयं सहायता समूह की सदस्य माया देवी कुशवाह कहती है -" पिछले साल मेरे पास 700 बॉक्स थे. इस बार 550 बॉक्स हैं. अच्छे उत्पादन के लिए आगरा जिले के जंगल में कॉलोनी लगाई है. मैं चाहती हूं कि शहद के भाव अच्छे मिले. पिछली बार 150 रुपए किलो तक शहद के भाव थे,जबकि इस बार घट कर 70 रुपए किलो के आसपास आ गए."       bee day  

आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

जिले में SHG की महिलाओं ने इसे खास कारोबार बना लिया.अभी यहां रिकॉर्ड 35 हजार क्विंटल शहद का उत्पादन मधुमक्खी पालकों ने कर लिया.एक लाख कॉलोनी (बॉक्स का समूह जिसमें मधु मक्खी रहती हैं ) में यह उत्पादन लिया जा रहा है. आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक दिनेश तोमर कहते हैं -" महिलाओं ने शहद उत्पादन में खास रूचि दिखाई. लगभग 500 महिलाएं सीधे तौर पर जुड़ीं हैं,जबकि सैकड़ों महिलाएं परिवार के साथ भी इस व्यवसाय से जुड़ गईं. महिलाओं ने कई टन शहद का उत्पादन कर रिकॉर्ड बनाया.जिले में पहाड़गढ़ में प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई है. "        

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मुरैना जिले मधुमक्खी पालन से जुड़ी महिलाओं से चर्चारत अधिकारी और वैज्ञानिक (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

जिले सरसों, बरशिन (मवेशियों का चारा), धनिया, अजवाइन आदि का उत्पादन अधिक होने से फ्लॉवरिंग वातावरण मिल जाता है. कृषि विज्ञान केंद्र के सीनियर कीट वैज्ञानिक और हनी बी विशेषज्ञ डॉ. योगेश यादव कहते हैं - " मुरैना में शहद उत्पादन को लेकर मधु मक्खियों को अनुकूल माहौल मिलता है. मुझे ख़ुशी है कि छह हजार से ज्यादा लोग खास कर महिलाएं भी शहद उत्पादन से जुड़ी हुईं है. यहां लगातार उत्पादन बढ़ रहा है. इसकी शुद्धता बढ़ाने के लिए जिले में तीन प्रोसेसिंग यूनिट लगाई है. यह प्लांट जौरा में दो और पहाड़गढ़ में एक हैं. सरसों फ्लॉवरिंग अधिक होने से यह ख़ास पसंद बनी हुई है. मुरैना में ही एक लाख 70 हजार हैक्टेयर में सरसों की फसल लगाई जाती है.एक बॉक्स में रानी और 300 नर  मधु मक्खी केअलावा लगभग 60 हजार श्रमिक मधु मक्खियां रहती हैं जो फूलों का रस इकठ्ठा करती हैं. "

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मुरैना जिले में लगी मधुमक्खी की कॉलोनी, पास में लगे सरसों के खेत (फोटो क्रेडिट: रविवार विचार)

मधुमक्खी पालन को लेकर कई सावधानी रखना होती है. इसकी खास ट्रेनिंग के बाद ही बॉक्स दिए जाते हैं. वैज्ञानिक अशोक यादव आगे बताते हैं- "हमें भ्रम होता है कि शहद जम जाने का मतलब अशुद्ध है. शहद का प्रकृतिक नेचर है जमना. इसमें नेचुरल ग्लूकोज़ की मात्रा ज्यादा होती है. प्रोसेसिंग यूनिट से शहद का मॉइश्चर और अशुद्धि भी हट जाती है. "

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 मुरैना जिले में लगी प्रोसेसिंग यूनिट को समझाते हुए अधिकारी और वैज्ञानिक (फोटो क्रेडिट: रविवार विचार)

जिले में जिला प्रशासन भी महिलाओं को इस कारोबार से जोड़ने का प्रयास कर रहा है. जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी इच्छित गढ़पाले कहते हैं - " जिले में मधु मक्खी पालन और कारोबार में महिलाओं को अधिक से अधिक जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. मुरैना जिला शहद उत्पादन को लेकर नई पहचान बना चुका है. अच्छे भाव मिले यह भी कोशिश की जा रही है. "  

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मुरैना जिले मधुमक्खी पालन से जुड़ी महिलाओं से चर्चारत अधिकारी और वैज्ञानिक (फोटो क्रेडिट: रविवार विचार)

इस बार शहद उत्पादन अधिक होने और भाव काम मिलने की वजह से उत्पादकों ने स्टॉक अपने पास ही रख लिया है.समूह की महिलाओं के अलावा किसानों की मांग है कि शहद के अच्छे भाव दिलवाने के लिए सरकार प्रयास करे. ग्वालियर -चंबल संभाग के कमिश्नर दीपक सिंह कहते हैं -" मुरैना के किसानों खास कर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने शहद उत्पादन में नया मुकाम  हासिल किया है. विशेषज्ञों से और ट्रेनिंग दिलवाई जाएगी. आने वाल दिनों कई देशों में एक्सपोर्ट देखने को मिलेगा." 

Self Help Group-SHG मधुमक्खी पालन Honey Production शहद उत्पादन आत्मनिर्भर कृषि विज्ञान केन्द्र मुरैना स्वयं सहायता समूह