धार ज़िले में सालों से 50 हैक्टेयर बंज़र पड़ी एक ज़मीन पर पिछले डेढ़ सालों से रौनक है. यहां तीन हज़ार से ज़्यादा लोगों को नया रोज़गार मिला.खास बात यह है कि इस यूनिट में 90 प्रतिशत महिलाओं को रोज़गार मिला जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकीं.धार ज़िले के बदनावर मुख्यालय के पास छायन गांव में संचालित ZEEL industry में winter wear और rain wear बनाए जा रहे.
आत्मविश्वास के साथ दिखने लगा सामाजिक बदलाव
छायन गांव और आसपास के गांव की महिलाओं और युवतियों में आत्मविश्वास दिखाई देने लगा.
ममता सोलंकी कहती हैं-"मेरे पति के निधन के बाद मैं अकेली पड़ गई. दो बच्चों की जवाबदारी मुझ पर थी. फैक्ट्री में आने के बाद आर्थिक स्थिति अच्छा हुई.बड़े बेटे को 12 वीं करवाया. छोटा बेटे को भी पढ़ा रही हूं.मैं आर्थिक सक्षम हो गई."
यहां फैक्ट्री द्वारा संचालित बसों से वर्कर्स को उनके घरों से सुरक्षित लाया और ले जाया जाता है.
यहां लगातार रोजगार मिलने से क्षेत्र में सामाजिक बदलाव भी नज़र आने लगा. अभिभावकों का कहना है इलाके में कम उम्र में भी शादी कर दिया करते थे,लेकिन आत्मनिर्भर होने से बेटियां खुद अब समय से पहले शादी के लिए तैयार नहीं होती.
पूजा यादव कहती हैं-"मेरे परिवार के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे.फैक्ट्री में पैदल आना पड़ता था.अब यहीं के वेतन से मैंने स्कूटी खरीदी और भाई को पढ़ाने के लायक हो गई."
देश में बढ़ी products की मांग
राजस्थान के डूंगरपुर जिला अंतर्गत सागवाड़ा में संचालित फैक्ट्री के बाद मध्य प्रदेश में इस यूनिट की शुरुआत हुई.इसके बाद धार ज़िले में यह फैक्ट्री लगाई गई.
ZEEL Seasonal factory के HR Head मन मोहन सिंह रावत कहते हैं-" इस यूनिट में लगातार सुविधा बढ़ाई जा रही. 14 बसों के माध्यम से वर्कर्स को फैक्ट्री तक लाया और ले जाया जाता है. ट्रेनिंग सेंटर्स में हमने 3 हज़ार लोगों को ट्रेनिंग दी. 28 सौ महिला वर्कर्स काम कर रहीं हैं.यहां तैयार किए जा रहे WINTER WEARS और RAIN WEARS की मांग लगातार बढ़ रही. हमारा उदेश्य लगभग साढ़े छह हज़ार लोगों को रोजगार देना है."
फ़िलहाल सिक्किम,मेघालय,मणिपुर,कर्नाटक,केरल और दिल्ली सहित कई जगह प्रोडक्ट भेजे जा रहे."आने वाले दिनों में यही products export भी किया जाएगा. यूएस और योरप के देशों में पत्राचार किया जा रहा.
ZEEL Seasonal Pvt Ltd के सागवाड़ा यूनिट के सीनियर मैनेजर बिज़नेस डेवेलपमेंट प्रकाश सोनी कहते हैं-"मध्य प्रदेश सरकार और MPIDC Indore ने बदनावर क्षेत्र में इसकी यूनिट लगाने के लिए पूरा सहयोग दिया.हमने 50 हैक्टेयर ज़मीन आवंटित की.पहले फेस में हमने 20 हैक्टेयर ज़मीन पर काम शुरू किया."
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"मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण इंदौर ने इस ज़मीन को लगातार उपयोगी बना कर रोजगार के अवसर तैयार किए. प्राधिकरण का मकसद उद्योग स्थापित करने के लिए ज़मीन को विकसित करना है. हम लगातार इस दिशा में काम कर सुविधाएं दे रहे.जिससे ज़्यादा से ज़्यादा जरूरतमंदों को रोजगार मिल सके. मुझे प्रसन्नता है कि उद्योगपति नए-नए उद्योग स्थापित करने में रूचि ले रहे हैं."
Himanshu Prajapati, IAS
Executive Director
MPIDC Indore