ग्रामीण परिवेश में होने की वजह से स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups-SHG) ग्राम आधारित रोज़गारों (employment) को बढ़ावा दे रहे हैं. कृषि क्षेत्र में ये समूह तकनीक को ला रहे हैं. स्वयं सहायता समूह से जुड़कर किसान अपनी फ़सल को देश विदेश के बाज़ारों तक पहुंचा रहे हैं. केरेला के 'कृषिकोप्पम कलामसेरी' (Krishikkoppam Kalamassery) का लक्ष्य भी स्वयं सहायता समूहों के ज़रिये किसानों की मदद करना है. ये खेती योग्य एरिया को SHG से जोड़ता है.
पल्लियाक्कल सेवा सहकारी बैंक (Palliyakkal Cooperative Bank) ने आय सृजन के लिए खेती से जुड़ी गतिविधियों और पहलों को स्पॉनसर करने में अहम भूमिका निभाई. इसकी सफलता ने ऐसा उदाहरण सेट किया जिससे जिले की अन्य सहकारी समितियों का ध्यान आकर्षित होने लगा. इस कड़ी में नया यह है कि 17 सहकारी बैंकों ने 'कृशिककोप्पम कलामसेरी' उद्यम को सफल बनाने के लिए हाथ मिलाया है. कलामसेरी विधानसभा क्षेत्र (Kalamassery Assembly constituency) में कृषि उद्यम शुरू किया गया है. कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि क्षेत्र का विस्तार करना है. उद्योग मंत्री पी. राजीव द्वारा शुरू किये गये इस कार्यक्रम का लक्ष्य किसानों के स्वयं सहायता समूहों की मदद से निर्वाचन क्षेत्र के सभी खेती योग्य क्षेत्रों को खेती के तहत लाना है.
पल्लियाक्कल बैंक बोर्ड के सदस्य एम.पी. विजयन ने कहा कि निर्वाचन क्षेत्र में सभी संसाधनों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा. किसानों को सिर्फ उत्पादन करना होगा, मार्केटिंग (marketing) जैसे दूसरे पहलुओं के लिए सहकारी संस्थाएं उनकी मदद करेंगी. विधानसभा क्षेत्र में चार पंचायतों और दो नगर पालिकाओं में कुल 152 वार्ड हैं, और कार्यक्रम के लिए अब तक किसानों के 159 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है.
कलामसेरी निर्वाचन क्षेत्र में सहकारी समितियों द्वारा सभी बुनियादी गतिविधियां की जाएंगी. प्रमुख गतिविधियों में सब्जियों और फलों की खेती, डेयरी, मुर्गीपालन और एक्वाकल्चर शामिल हैं. पल्लिक्कल बैंक ने सीजन में 250 एकड़ में पोक्कली चावल की खेती शुरू करने की भी योजना बनाई है. पोक्कली खेतों से काटे गए धान की मिलिंग के लिए विशेष रूप से एक चावल मिल की स्थापना की है. श्री विजयन ने बताया कि क्षेत्र का पोक्कली चावल 'कैथकम' ब्रांड के तहत बेचा जाता है.
सहकारी बैंक किसानों को सब्जी की खेती के लिए 40 एकड़ और मछली पालन के लिए लगभग सौ पिंजरे लेने में सहायता करेगा. डेयरी गतिविधियों से प्रति दिन लगभग 700 लीटर ताजा दूध की बिक्री हुई है. सहकारी बैंक डेयरी किसानों को ताजा दूध के लिए ₹55 प्रति लीटर की उच्च कीमत का भुगतान भी करता है.
श्री विजयन ने कहा कि पेरुम्बवूर के पास ओक्कल, कोठमंगलम के पास वरापेटी, परावुर के पास कोरमपदम और वडक्केकरा सेवा सहकारी बैंक के दिए गए उदाहरण के अनुसार काम कर रहा है. पल्लीयाक्कल सेवा सहकारी कृषि संबंधित सेमिनारों के साथ अपनी कृषि गतिविधियों में कदम रखने के 23वें वर्ष का जश्न मना रहा है. बैंक के अंतर्गत 28 स्वयं सहायता समूह हैं, जो धान और सब्जी की खेती जैसे कई गतिविधियों में लगे हुए हैं. ये पहल देशभर में लागू होनी चाहिए, ताकि सब्जियों और फलों की खेती, डेयरी, मुर्गीपालन और एक्वाकल्चर में शामिल किसानों को लाभ मिल सके.