'स्वच्छ भारत, समृद्ध भारत' इस नारे को अपनाते हुए देश का हर शहर स्वच्छता और प्रदुषण से मुक्त होने के लिए प्रयास कर रहा हैं. इसी प्रयास में मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के स्वयं सहायता समूह (SHG) और स्वयंसेवी संस्थाएं घरों से निकलने वाले अनुपयोगी सामान से अनोखे उत्पाद तैयार कर रहे हैं. ये स्वच्छ सर्वेक्षण के महत्वपूर्ण घटक 3R mart (रिड्यूस, रियूज,रिसाइकिल) का हिस्सा है और इसके तहत शहर में 10 प्रमुख स्थानों को चिह्नित कर सूखे कचरे से उत्पाद तैयार कराए जा रहे हैं.
Gwalior की Deputy Commissioner मिनी अग्रवाल ने बताया- "पुरानी अनुपयोगी वस्तुओं को दोबारा उपयोग में लेकर उत्पाद तैयार करना एक बड़ी पहल हैं. मृगनयनी समूह की प्रतिनिधि मोहिनी भदौरिया वार्ड 52 कंपू क्षेत्र में घर-घर जाकर अनुपयोगी प्लास्टिक डिब्बे, बोतलों को इकट्ठा कर उनसे सजावटी गुलदस्ते बनती हैं. सृष्टि Self Help Group के प्रशिक्षक अनिल बाथम निगम कार्यालयों से अनुपयोगी रद्दी व पेपर को इकट्ठा कर सामुदायिक भवन रेती फाटक जोन चार पर पेपरमेसी का कार्य कर रहे हैं. गजानंद SHG की सुमन धाकड़ किशनबाग बहोड़ापुर सामुदायिक भवन में पेपर, गत्ते, नारियल जटा, मिट्टी के मिश्रण से विभिन्न प्रकार की गुड्डा-गुड़िया, भगवान की मूर्तियां बना रही हैं. सालासर मॉल के पीछे सिटी सेंटर में स्वयंसेवी संस्था सत्या गोधन आर्ट द्वारा नेकी की दीवार और बीजासेन माता मंदिर पर बर्तन बैंक का संचालन किया जा रहा है.
ग्वालियर नगर निगम इन महिलाओं SHGs को अच्छा काम करने ले लिए पुरुस्कार भी दे रही हैं. इस तरह की पहल देश के हर शहर और जिले में शुरू करनी चाहिए. घर में प्लास्टिक, पेपर, और दूसरी अनुपयोगी चीज़ें अगर इस तरह के इस्तेमाल में आए तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी. महिलाओं को अपनी कौशल का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा और साथ ही शहर में प्रदुषण काम होगा.