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स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को गांवो को स्वच्छ बनाने का श्रेय मिलता रहा है। इस मिशन के तहत झररखण्ड के चतरा में बने शौचालयों में अनियमितता के मामले सामने आएं हैं. नियमों का उलंघन करने वाले स्वयं सहायता समूहों के अध्यक्षों, सचिवों और कोषाध्यक्षों पर केस दर्ज किये गए. मिली जानकारी के अनुसार पता चला कि जिले में डाक्यूमेंट्स के हिसाब से 7500 शौचालय बनाए गये हैं जिसमे करीब 9 करोड़ रुपयों की लागत लगी है. ऐसे कई मामले जिले की कई पंचायतों से सामने आयें हैं.
जिले के स्वयं सहायता समूहाें (Self Help Groups- SHG) को शौचालाय निर्माण का काम दिया गया था, जिसके लिए उन्हें जल स्वच्छता समिति से कराेड़ाें रुपयों का एडवांस मिला था. कई ग्रामीणाें ने शाैचालय न बनने की शिकायत की. पूछने पर, वे तीन साल बाद भी उपयाेगिता प्रमाण पत्र नहीं दे पाए. विभाग की जांच में पता चला कि इन शाैचालयाें का निर्माण हुआ ही नहीं. शौचालय निर्माण में हुए इस घोटाले के आरोप में स्वच्छ भारत मिशन में काम करने वाले जिला कोऑर्डिनेटर और इंजीनियरों को काम से हटा दिया गया है. जिले के 135 स्वयं सहायता समूहाें ने बिना शौचालय निर्माण किये ही पूरी राशि निकाल ली. जिला जल एवं स्वच्छता मिशन के आदेश के बाद भी 7500 शौचालय नहीं बनाए गए हैं. सरकार ने एक शौचालय बनवाने के लिए 12000 हजार रुपये दिये थे.
केस दर्ज होने के बाद जल्दबाज़ी में कुछ स्वयं सहायता समूहों ने शौचालय के निर्माण का काम पूरा किया और उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कर दिया। अभी भी 9 करोड़ से ज़्यादा राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिला है. आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी किये जा रही हैं. लगभग 68 स्वयं सहायता समूहों और विलेज वॉटर सैनिटेशन कमिटियों (Village Water Sanitation Committee) के अध्यक्षों, सचिवों और कोषाध्यक्षों के ख़िलाफ़ गिरफ्तारी वारंट जारी किये जा रहे हैं. इसके बाद भी सरकारी राशि जमा न करने पर उनके घर कुर्क किए जाएंगे.