स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मिलकर, थोड़े थोड़े पैसे जोड़कर, एक रोज़गार शुरू करती है और साथ में काम कर ख़ुद को सक्षम बनती है. विश्वास करती है, अपनी जमा पूंजी को खर्च करती है. ऐसे में अगर उनके साथ कोई धोखा हो जाए, तो वो किस से जाकर अपनी बात कहेंगी? हाल ही में एक ऐसा ही केस सामने आया जहां Self Help Group की महिलाओं के साथ पुणे के मोहम्मदवाड़ी के एक रहवासी ने 12 लाख का धोका किया. उसने महिलाओं से पैसे मुद्रा लोन के नाम पर लिए. कोथरुड पुलिस के वरिष्ठ निरीक्षक हेमंत पाटिल ने कहा, "इस व्यक्ति ने महिला सदस्यों से कहा कि वह केंद्र सरकार के मुद्रा ऋण की सुविधा उन जैसी महिलाओं को देता है. उसने बहुत ही मामूली दर पर 20 लाख रुपये से 25 लाख रुपये तक के ऋण का वादा किया और कानूनी कार्यवाही के लिए प्रत्येक से 1 लाख रुपये की मांग की."
जो महिलाएं कम पैसा कमाती हैं, उन्होंने अपनी सारी बचत उस व्यक्ति को दे दी. अधिकारी ने बताया- "अब तक, स्वयं सहायता समूह के 12 सदस्यों ने हमसे संपर्क किया है. संख्या बढ़ने की संभावना है, अगले कुछ दिनों में और सदस्य सामने आ सकते हैं." मुद्रा ऋण व्यक्तियों और स्टार्टअप्स को व्यवसाय, एमएसएमई और वर्किंग कैपिटल जैसे कर्ज़े और 10 लाख रुपये तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान करने के लिए एक क्रेडिट-फंडिंग योजना है. लेकिन जो लोग उधार लेते है, उन्हें किसी तरह का कोई डिपॉज़िट या सिक्योरिटी मनी नहीं देना होता. उस व्यक्ति ने महिलाओं को यही बोलकर फसाया. सरकार को अपनी हर योजना की जानकारी SHG की महिलाओं को अच्छे से बतानी चाहिए, ताकि वे अपने मेहनत से कमाए पैसे को इस तरह से ना जाने दे.