'महिला सशक्तिकरण' (women empowerment) एक हॉट टॉपिक बना हुआ है. पर, कम ही लोगों का ध्यान इस बात पर गया कि तलाकशुदा, अकेली रह रही, और विधवा महिलाओं की चुनौतियां और ज़रूरतें अलग हैं. आबादी के इस हिस्से के बारे में सोचते हुए महराष्ट्र (Maharashtra) के अहमद नगर जिला परिषद ने एक पहल की.अहमद नगर जिला परिषद (Ahmednagar Zilla Parishad) ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया जिसमें वे तलाकशुदा, अकेली रह रहीं, विधवा महिलाओं के साथ-साथ 40 वर्ष से अधिक आयु की अविवाहित महिलाओं की पहचान करेंगे, ताकि उनकी चुनौतियों को दूर कर उनके विकास के लिए नीति तैयार की जा सके.
'एकल महिला' (Ekal Mahila) पहल के ज़रिये, अहमदनगर जिले के 16 तालुकों में एक लाख से अधिक ऐसी महिलाओं की पहचान हो चुकी है. इसमें से 1,298 महिलाएं अविवाहित, 87,287 विधवा, 5,649 तलाकशुदा,और 6,492 महिलाओं को छोड़ दिया गया है. अहमदनगर जिला परिषद के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर आशीष येरेकर बताते है कि इस पहल का लक्ष्य इन चार श्रेणियों में महिलाओं की संख्या का पता लगाना और उनके लिए ज़रूरी योजनाएं तैयार करना था. विभाग की उनका पुनर्विवाह करवाने की भी योजना है.
स्क्रीनिंग कर इन महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने में सहायता दी जाएगी, ताकि वे आर्थिक आज़ादी हासिल कर सकें. राज्य में चल रहे 23 हज़ार स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups-SHG) से जुड़कर लाखों महिलाएं लाभ उठा रहीं हैं. स्क्रीनिंग कर इन चारों श्रेणी की महिलाओं को SHG से जोड़कर रोज़गार शुरू करने में मदद की जाएगी. उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जायेगा. जो महिलाएं आगे पढ़ना चाहती हैं, उन्हें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय जैसे ऑपन विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने में मदद की जाएगी. विधवाओं के लिए चल रहीं योजनाओं को और बेहतर तरीके से लागू किया जायेगा.
इस तरह की पहल न केवल एक जिले में पर पूरे राज्य, बल्कि हर राज्य में होना चाहिए. महिलाओं की आबादी का एक हिस्सा जो आमतौर पर दूसरी महिलाओं से ज़्यादा प्रताड़ित है और जिनकी ज़रूरतें अलग हैं, उनके विकास को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. अहमद नगर जिला परिषद की पहल की सफलता दूसरे राज्यों के लिए उदाहरण बनने को तैयार है.