महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्वसहायता समूहों द्वारा बनाए जाने वाले मसालों, पापड़, अचार के स्वाद की चर्चा जोरों पर है. सांई ज्योति स्वसहायता यात्रा और कृषि महोत्सव द्वारा आयोजित होने वाले इस चार दिवसीय मेले में 570 स्वसहायता समूहों ने अपने स्टॉल लगाए. यहां लगे पांडाल और सजे हुए स्टॉलों में महिला स्वसहायता समूहों के उत्पादों को खरीदने के लिए लगभग तीन से चार लाख लोगों की भीड़ उमड़ी. यहां आए लोगों में से कोई बड़े चाव से पावभाजी मसाला, कोई खाखरा, तो कोई अनारसे का पावडर खरीदता दिखाई दिया. यहां स्टॉल लगाने वाली महिलाएं बताती हैं कि इस हाट में उनकी कमाई एक से दो लाख के बीच हो गई है.
इस आयोजन में अपना स्टॉल लगाने वाली नव तेजस्विनी महिला समूह की एक सदस्य ने बताया कि उन्हें यह बचत गट बनाए अभी सिर्फ एक साल हुआ है, वो अपने स्टॉल पर शुद्ध पावभाजी, सांभर, बिरयानी जैसे मसाले तैयार करती हैं. उन्हें यहां बहुत अच्छा रिस्पांस मिला. रणरागिनी महिला समूह की अध्यक्ष बताती है कि वो 7 सालों से यह संगठन चला रही हैं, वो कई शहरों में स्टॉल लगा चुकी हैं और उनके समूह को 15 लाख तक का लोन मिल चुका है. जागृति महिला समूह में दस महिलाओं ने मिलकर संगठन की शुरुआत की और उनके समूह को तीन लाख तक का लोन मिला. जितना उन्होंने लोन लिया था आज उतनी उनकी कमाई है.
भालवानी गांव की भारती चमटे बताती हैं कि अपने उत्पाद बेचकर वो लगभग एक लाख कमा लेती हैं. एक अन्य समूह की जयश्री पारधे को 15 लाख का कर्ज मिला है . जयश्री कहती हैं कि त्योहारों में वो धनिया वडा और आलू वडा का स्टॉल लगाती हैं जिसे खाने लोग दूर दूर से उनके स्टॉल पर आते हैं. महिलाओं के स्व सहायता समूहों का उत्साह बढ़ाते हुए राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील और पद्मश्री पोपत्र राव पवार ने बताया कि 2009 से ऐसे आयोजनों की राज्य में शुरुआत हुई और तब से यह सिलसिला बिना रुके जारी है. महिलाओं को अपना खुद का व्यापार शुरू करने और अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें फ्री स्टॉल्स के साथ साथ मुफ्त भोजन और रहने की व्यवस्था मुहैया कराई जाती है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं आगे आएं. भारती चमटे कहती हैं कि आजकल मार्केटिंग का ज़माना है, अगर हमारे उत्पादों की भी अच्छी मार्केटिंग हो जाए तो हमारी कमाई और बढ़ जाएगी, सरकार को इस दिशा में भी हमारी मदद करनी चाहिए.