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रिश्वत का लेनदेन देश की एक बहुत ही बड़ी समस्या बन चुकी है. आए दिन ऐसे ना जाने कितने केसेस सामने आ जाते है, जिसमें अधिकारी या कोई आम आदमी फसता रहता है. ऐसा ही एक कारनामा सामने आया अलीराजपुर जिले से, जहां खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी की ओर से स्वयं सहायता समूहों से रिश्वत की मांग करने कि शिकायत कलेक्टर राघवेंद्र सिंह को मिली. इसे गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने अपर कलेक्टर को 7 दिवस के भीतर जांच सौंपने के आदेश जारी किए और वहीं कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी सुनीता मसराम को पद से हटा दिया गया.
सिर्फ ये ही नहीं बल्कि, इस अधिकारी की ओर से 5 और स्वयं सहायता समूहों से रिश्वत मांगने की बात सामने आयी. समूह को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान आवंटित करने और पीओएस मशीन उपलब्ध कराने के लिए 50 हजार रुपए से लेकर 5 हजार रुपए तक की मांग की. इसमें नर्मदा स्व-सहायता समूह जवानियां से पचास हजार रुपए, वहीं साई कृपा समूह, कृपा समूह खंडाला, महादेव मतदाता समूह जामली, पायल समूह उती से 5 हजार के खर्चे की मांग की गई.
यह एक बहुत गंभीर मामला है. स्वयं सहायता समूह की ये महिलाएं, जो छोटी सी राशि जोड़कर अपना काम शुरू करते है, उनसे रिश्वत मांग कर यह अधिकारी बहुत गलत करते है. यह वो महिलाएं है जो घर और समझ से परेशान होकर अपने लिए रोजगार बनाने का प्रयास करती है. इन्हे भी इसी दलदल में फ़साना कहां तक सही है ?