पैसे का लेन- देन तबसे और भी आसान हो गया, जब से देश के हर कोने में ATM लगा दिए गए. लेकिन जिस ATM की बात इस कहानी में होने वाली है वो आपको अचंभे में डाल देगी. तेलगाना में नॉर्मल ATM के साथ हर जगह एक और प्रकार का ATM लगने की बात चल रही है. यह आपको पैसे नहीं देगा, लेकिन प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए सबसे जरूरी हथियार, एक कपड़े का थैला देगा. इस वेंडिंग मशीन में 10 रुपये डालकर या यूपीआई के माध्यम से भुगतान करके 'कपड़े का बैग' प्राप्त किया जा सकता है. ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) ने 'सिंगल-यूज प्लास्टिक' के उपयोग पर बढ़ती चिंताओं को दूर करने और समुदाय में बदलाव लाने के लिए 'एनी टाइम बैग' (ATB) लगाए. आईडीपीएल फल बाजार में यह मशीन लगाई गयी और सबसे अच्छी बात यह है कि मशीन 'सौर ऊर्जा' यानि 'सोलर एनर्जी' से चलती है.
जीएचएमसी कुकटपल्ली जोनल कमिश्नर, वी ममता ने कहा- "वे शहर भर में कपड़े की थैलियां निकालने वाली मशीनें स्थापित करने के लिए क्षेत्रों की पहचान करने की प्रक्रिया में हैं, और बहुत जल्द ऐसी एक और मशीन जेएनटीयू रायथू बाजार के पास आएगी." जीएचएमसी ने अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत आईडीपीएल फल बाजार में कपड़ा वेंडिंग मशीन स्थापित की.
इस सबसे बड़ी और सार्थक पहल यह रही की नागरिक निकाय ने कपड़े के थैले बनाने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ काम करने का फैसला किया . स्वयं सहायता समूहों को बैग सिलने के लिए ज़रूरी सामग्री प्रदान की गयी. जब यह महिलाएं बैग बनाने का काम कर देंगी तो उनसे यह बैग्स लेकर मशीनों में भर दिए जाएंगे ताकि आम जनता इनका प्रयोग कर सकें. यह एक बहुत अनोखी पहल है जिससे SHG की महिलाओं की हर सप्ताह 7,500 रुपये की कमाई हो सकती है. इस पहल की शुरुआत करने के पीछे दो मुख्य उद्देश्य है, पहला 'सिंगल यूज़ प्लास्टिक' को पूरी तरीके से बंद करना, दूसरा महिला स्वयं सहायता समूहों के बीच बेरोजगारी को कम करना.
यह पहल देश की दो बड़ी समस्याओं को हल करनी की ताकत रहता है. सिर्फ़ तेलंगाना ही नहीं, देश के हर राज्य को प्लास्टिक बैग्स को बंद करने की तरफ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे. जैसा तेलंगाना की सरकार ने एक तीर से दो निशाने का सोचा है, अगर पूरा देश इस कार्य को करने की ठान ले तो बहुत बड़े पैमाने पर बदलाव निश्चित है. SHG की महिलाओं के लिए भी यह एक बहुत बाड़ी उम्मीद की किरण है, क्यूंकि कपड़े की बैग का इस्तेमाल पुरे देश में करने क लिए बहुत प्रयास चल रहे है. अगर यह काम देश के हर SHG को मिल जाए तो सारी महिलाओं की रोजगार और पैसे की समस्या हमेशा के लिए ख़त्म हो सकती है.