हाल ही में ऊपरी सियांग जिले में पारंपरिक परिधान निर्माण पर 50 दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण का समापन हुआ. नाबार्ड डीडीएम नित्या मिली ने समापन कार्यक्रम के दौरान कहा, "प्रशिक्षण का मुख्य उद्दश्य प्रशिक्षुओं को आजीविका और स्थायी आय सृजन का अवसर प्रदान करना था." उन्होंने राष्ट्रीय और वैश्विक बाज़ार में अरुणाचल प्रदेश के अद्वितीय हथकरघा वस्त्रों की मार्केटिंग और बिक्री की आवश्यकता पर बल दिया. मिली ने बताया- "SHG सदस्यों द्वारा बनाए जा रहे क्षेत्र के हथकरघा उत्पादों को आदि कपड़ा नाबार्ड द्वारा जीआई (GI) पंजीकरण एक विशिष्ट पहचान देगा."
उन्होंने विभिन्न नाबार्ड प्रायोजित योजनाओं, जैसे ग्रामीण मार्ट, ग्रामीण हाट, प्रायोजक कारीगरों और स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को प्रदर्शनियों और अभी तक लगे मेलों पर भी प्रकाश डाला. दिते मोपांग वेलफेयर सोसाइटी (DMWS) के अध्यक्ष ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के लक्ष्य और उद्देश्य के बारे में भी विस्तार से बताया. उन्होंने स्वयं सहायता समूहों से अपने प्रयास जारी रखने और पारंपरिक पहचान को जीवित रखने के लिए कहा, जिससे इन महिलाओं के लिए अतिरिक्त आय उत्पन्न होगी. अरुणाचल प्रदेश में सरकार की तरफ से उठाया गया यह कदम स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं के लिए बड़ी पहल साबित होगा, जो अपनी कला और कौशल को पुरे देश में फैलाना चाहती है. बाकि राज्य की सरकारों को भी अपनी self help group की महिलाओं के कौशल को नाम देने के लिए यह कदम उठाना चाहिए.