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Image credits: Sportskeeda
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"पूरे देश को खुश करने के लिए मात्र 10 सेकंड ल है."
ये शब्द है अपने देश को सबसे पहला ओलंपिक्स मैडल दिलवाने वाली महिला जूलियन अल्फ्रेड के. वो कहते है ना कि बस ठानने की देर है, जो चाहते हो वो हो ही जाएगा.
St. Lucia वो देश है जहा पूरी दुनिया में से सबसे ज़्यादा नोबल पुरुस्कार थे, जो नहीं था वो था एक ओलम्पिक मैडल. लेकिन ये भी सिर्फ शनिवार रात तक कि ही बात थी... सपना पूरा हुआ जब जब जूलियन अल्फ्रेड ने मात्र 10.72 सेकंड में फिनिश लाइन पार कर ली और गोल्ड मैडल जीत लिया.
जूलियन का बचपन संघर्षों से भरा था. वे अक्सर बिना जूतों के दौड़ती थीं. उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया, लेकिन उनके शारीरिक शिक्षा शिक्षक सिमोन स्टीफन ने उनकी दौड़ने की क्षमता को पहचाना और उन्हें प्रोत्साहित किया.
सिमोन स्टीफन ने उन्हें लड़कों के साथ दौड़ने के लिए प्रेरित किया और मानसिक ताकत के महत्व को समझाया. उन्होंने जूलियन को पहली बार जूते गिफ्ट किये थे और इसी के साथ उन्हें एक एथलेटिक्स क्लब में शामिल होने का मार्गदर्शन किया.
जूलियन ने सेंट कैथरीन हाई स्कूल, जमैका में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया और वहां के कोच मार्लोन जोन्स के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके बाद वे टेक्सास के लियोन हेस कॉम्प्रिहेंसिव सेकेंडरी स्कूल में शामिल हुईं, जहां उन्होंने अपने तकनीक और फिटनेस पर काम किया.
जूलियन अल्फ्रेड ने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिन को उसेन बोल्ट के दौड़ को देखकर शुरू किया. 28-29 जुलाई को, उन्होंने 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. यह दौड़ उनके अद्वितीय गति नियंत्रण और आत्म-नियंत्रण का एक उत्कृष्ट प्रदर्शन था. जूलियन अल्फ्रेड ने अपने देश के लिए एक नए स्टेडियम की उम्मीद जताई है. वे चाहती हैं कि उनकी इस जीत से सेंट लूसिया में खेलों का विकास हो सके.
जूलियन अल्फ्रेड की यह प्रेरणादायक कहानी हमें सिखाती है कि अगर आपके पास दृढ़ संकल्प हो, तो आप किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं. उनके संघर्ष और सफलता की कहानी हर युवा को प्रेरित करती है. रविवार विचार जूलियन अल्फ्रेड की इस ऐतिहासिक जीत पर उन्हें बहुत बधाइयाँ देना चाहता है.