बिज़नेस कॉरस्पॉन्डेंट्स से फील्ड फाॅर्स बढ़ाएगी BOI

बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए जून 2023 के अंत तक अपने बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट्स (बीसी) की फील्ड फोर्स को 19,000 से बढ़ाकर 25,000 करने की तैयारी में है.

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Bank Of India

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भारत आज भी गाँव में बसता है. इस तरह आबादी का प्रतिशत भी वहाँ ज़्यादा है. आर्थिक जगत में आबादी का अपना एक महत्व है और भारत की इसी ग्रामीण आबादी को अपने नेटवर्क में बढ़ाने के लिए बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) बैंकिंग सेवाओं के विस्तार में लगा हुआ है. बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए जून 2023 के अंत तक अपने बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट्स (बीसी) की फील्ड फोर्स को 19,000 से बढ़ाकर 25,000 करने की तैयारी में है.  

बीओआई के कार्यकारी निदेशक एम. कार्तिकेयन के अनुसार, 19,000 फील्ड बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट (एफबीसी) में से लगभग 14,000 सक्रिय है. बैंक के कॉर्पोरेट बीसी प्रोग्राम के माध्यम से इन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है. एफबीसी, बैंक रहित क्षेत्रों में वित्तीय और बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए बैंकों का मध्यस्थ हैं. वे अन्य सेवाओं के साथ-साथ खाता खोलने, नकद जमा/निकासी, निधि अंतरण, वसूली/संग्रह, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना/प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना/अटल पेंशन योजना के लिए नामांकन जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं.

“मान लीजिए कि झारखंड में एक शाखा के अधीन कुछ गांव हैं, जिनके ग्रामीणों को शाखा जाने के लिए पैसा और समय खर्च करना पड़ता है. यह उनके लिए महंगा पड़ता है. इसलिए एफबीसी की पहचान फील्ड में ही की जाती है. वे गांव में तैनात हैं, जहां कॉर्पोरेट बीसी बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करता है. हमारे लिए काम करने वाले एफबीसी, ग्राहकों को हमारे 44 उत्पाद और सेवाएं की देते हैं.” कार्तिकेयन ने कहा. जब ₹25 लाख तक के खराब ऋणों से वसूली की बात आती है, तो बैंक के एफबीसी को बकाया ऋण के 5 से 10 प्रतिशत तक कमीशन मिलता है. पिछले साल खराब ऋणों से वसूली के लिए एफबीसी को भुगतान के कारण बीओआई का व्यय लगभग ₹5 करोड़ था.

कार्तिकेयन ने कहा " राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की पहल के कारण, स्वयं सहायता समूहों की प्रशिक्षित महिला सदस्य अब बीसी के रूप में शामिल होने के लिए आसानी से उपलब्ध है." सिर्फ ये ही नहीं बल्कि और भी वित्तीय संस्थानों को इस तरह की पहल की शुरुआत करनी चाहिए. इन संस्थानों को अपने महिला बिज़नेस कोरस्पोंडेंट को ऐसे इलाको में भेजना चाहिए जहां बैंक की सुविधा नहीं है. इससे महिलाओं को भी रोजगार की परेशानी नहीं होगी और ऐसी परिवार जिन्हे बैंक के कामों को करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, वो भी समस्या ख़त्म हो जाएगी.

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