New Update
/ravivar-vichar/media/media_files/K97OZxZuX8hu6e6gdcug.jpg)
Image Credits: Hamiast.com
Image Credits: Hamiast.com
तकनीक के इस दौर में पारंपरिक कलाओं को बचाने की चुनौती है. ऐसी ही कला को संरक्षित करने की पहल जम्मू कश्मीर में हुई. बसोहली के नाम से जानी जाने वाली पेंटिंग को नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) की मंज़ूरी के बाद भौगोलिक संकेत (GI) टैग दिया गया. भौगोलिक संकेत (GI) बौद्धिक संपदा अधिकार (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट) का एक रूप है. इसका मतलब यह है कि पेंटिंग जम्मू और कश्मीर के बसोहली जिले की है और इसमें विशिष्ट गुण हैं जो उस क्षेत्र से जुड़े हैं. कठुआ जिले की बसोहली पेंटिंग जम्मू क्षेत्र का पहला उत्पाद है जिसे जीआई टैग मिला. इस क्षेत्र के उत्पादों की पहचान करने के लिए केवल अधिकृत उपयोगकर्ता ही इस टैग का उपयोग कर सकते हैं.
जीआई टैग उत्पादों, वस्तुओं या विशेष वस्तुओं के लिए एक कानूनी सुरक्षा है. यह एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने और मूल उत्पादकों की रक्षा करने में मदद करता है. इस टैग की वजह से इस फील्ड में रोज़गार बढ़ाने और उत्पादकों की आमदनी में इज़ाफ़ा होता है. जम्मू क्षेत्र का एक छोटा सा शहर बसोहली अपने पहाड़ी चित्रों के लिए जाना जाता है, जो पौराणिक कथाओं और पारंपरिक लोक कलाओं का एक अनूठा मिश्रण है. बसोहली चित्रों का वास्तविक विकास संग्राम पाल और कृपाल पाल के शासनकाल के दौरान हुआ, जब वैष्णववाद को एक धर्म के रूप में अपनाया जाने लगा. रसमंजरी श्रृंखला, जो बसोहली चित्रों का सबसे प्रसिद्ध संग्रह है, में कृष्ण को मुख्य पात्र के रूप में दिखाया गया है. यह पेंटिंग पौराणिक कथाओं और प्रेम की भावना का एक अनोखा मिश्रण है. लाल, पीले और नीले जैसे चमकीले और गहरे रंगों का इस्तेमाल इसकी विशेषता है.
Image Credits: Hamiast.com
भारत कलाओं और परंपराओं का देश है. इन कलाओं को बचाने के लिए ऐसी पहलें और कोशिशें और भी प्रदेशों में होना चाहिए. इससे न केवल कलाओं को संरक्षित कर सकेंगे पर कलाकारों और उत्पादकों को भी मुनाफ़ा मिल सकेगा.