राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने अपने आदिवासी गौरव का परिचय देते हुए कहा कि उनके समाज में कन्या का जन्म कभी भी सकारात्मक विकास के रास्ते में बाधा नहीं बना. झारखंड के खूंटी में आयोजित स्वयं सहायता समूह सम्मेलन (conference of self-help groups) में राष्ट्रपति मुर्मू ने शिरकत की. उन्होंने जोर देकर कहा कि आदिवासी महिलाएं युगों से अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं. उन्होंने याद दिलाया कि कैसे उनकी दादी, जो झारखंड (Jharkhand) की महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा माझी (Jharkhand’s Women and Child Development Minister Joba Majhi’) के गांव से थीं, उन्हें घर में अनाज न होने पर 'महुआ' (Millet) पकाना पड़ता था. और आज महुआ उत्पादों की हर जगह काफी मांग है.
एक महिला होना या एक आदिवासी (Adivasi) समाज में पैदा होना कोई नुकसान की बात नहीं है, राष्ट्रपति ने साझा किया कि हमारे देश में महिलाओं के योगदान के अनगिनत प्रेरक उदाहरण हैं. महिलाओं ने सामाजिक सुधार, राजनीति, अर्थव्यवस्था, शिक्षा में अमूल्य योगदान दिया है. विज्ञान और अनुसंधान, व्यवसाय, खेल और सैन्य बल और कई अन्य क्षेत्रों में उनकी भागीदारी देखी गई है.
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा (Union Tribal Affairs Minister Arjun Munda) ने राष्ट्रपति को आदिवासियों द्वारा बनाए गए उत्पादों से बना हैम्पर भेंट किया जिसकी मार्केटिंग ट्राइब्स इंडिया और वन धन विकास केंद्रों ने की है. सम्मेलन का आयोजन उनके मंत्रालय द्वारा किया गया था. राष्ट्रपति ने इस अवसर पर लगाए गए जनजातीय उत्पादों के विभिन्न स्टालों का दौरा किया.
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपनी प्रतिभा को पहचानें और दूसरों के पैमाने पर खुद की तुलना न करे. उन्होंने महिलाओं से अपने भीतर छिपी अनंत शक्ति को जगाने का आग्रह किया और कहा कि महिला सशक्तिकरण (women empowerment) के सामाजिक और आर्थिक दोनों पहलू समान रूप से ज़रूरी हैं.
महिलाओं की सभा को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा, “यह खुशी की बात है कि लाखों परिवार स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़े हुए हैं. हजारों महिलाएं झारखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था (rural economy) को मजबूती देने में लगी हैं. यह सही समय है कि अधिकतम संख्या में महिलाओं को SHG से जोड़ा जाए, उचित ट्रेनिंग देकर उनके कौशल को तेज किया जाए और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाए.
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में झारखंड के आदिवासियों का भी विशेष उल्लेख किया, जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में नाम कमाया है. इन लोगों में स्वतंत्रता सेनानी फूलो-झानो, पद्म पुरस्कार विजेता जमुना टुडू, अकली टुडू, छुटनी महतो, हॉकी खिलाड़ी ब्यूटी डुंगडुंग, प्रमोदिनी लकड़ा, महिमा टेटे, दीपिका सोरेंग, निक्की प्रधान, सलीमा टेटे और तीरंदाज दीपिका कुमारी जैस नाम शामिल हैं. उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले दिनों में कई और नाम जुड़ेंगे. राष्ट्रपति ने महिलाओं से भी बातचीत की.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने अपने संबोधन में इस अवसर का सदुपयोग करते हुए राष्ट्रपति से सरना कोड बिल (Sarna Code Bill) को जल्द से जल्द स्वीकृत करने का आग्रह किया, जिसकी मांग हाल के दिनों में तेज हो गई है. उन्होंने कहा कि 22 लाख महिलाएं अब राज्य भर में 225 SHG से जुड़ी हुई हैं और उनकी सरकार पलाश मार्ट और सिद्धो कान्हो फेडरेशन की स्थापना करके वन उत्पादों की मार्केटिंग (marketing) में बीचवानों की भूमिका को कम करने की पूरी कोशिश कर रही है.
मुर्मू ने विकसित आदिवासियों से अपनी व्यक्तिगत सामाजिक जिम्मेदारी निभाने को कहा. उन्होंने अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने या कुछ हासिल करने के बाद अपनी परंपरा, संस्कृति और समाज पर ध्यान देने को कहा. और इन लोगों को सुझाव दिया कि वे अपने समाज में उन लोगों की देखभाल करें जो उनके पीछे हैं. 'जो आगे बढ़ते हैं उन्हें पीछे देखना चाहिए. धन से नहीं तो मन या तन से सहायता करनी चाहिए,” उन्होंने कहा.