दुर्गाष्टमी के लिए मशहूर कोलकाता राज्य में देवियों को बहुत मानते है। अपने राज्य की मान्यताओं को नए मक़ाम तक पहुंचाने के लिए राज्य पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने हाल ही में 1.3 लाख महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया और वर्त्तमान में यह राज्य देश के सबसे ज़्यादा SHGs वाले राज्य में सबसे पहले नंबर पर है। आज कोलकाता में SHGs की कुल संख्या 10.79 लाख पहुंच चुकी है। विभाग ने 2022-23 वित्तीय वर्ष में सहायता के रूप में राज्य में एसएचजी को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता की और क्रेडिट लिंकेज की भी बात की और एक नया रिकॉर्ड बनाया।
विभाग ने गुरुवार को SHG सदस्यों के प्रदर्शन को पहचानने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (WBSRLM) के तहत एक सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विभाग के प्रभारी मंत्री प्रदीप मजूमदार ने 5 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद में एसएचजी महिलाओं की उपलब्धि पर प्रकाश डाला, जो कुल धान खरीद का 10 प्रतिशत है। उन्होंने WBSRLM के सीईओ विभु गोयल से धान की खरीद में शामिल एसएचजी के अधिक विशेष प्रशिक्षण के लिए कहा ताकि आने वाले दिनों में इसे और बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा- "समूहों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में उनके काम करने के तरीके के बारे में जागरूकता पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए।" राज्य मंत्री सेउली साहा ने एसएचजी के कामकाज में और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए सहकारी समितियों के चुनाव और ऑडिट का आह्वान किया। कोलकाता की यह उपलब्धि से महिलाओं के लिए एक बहुत बड़ा कदम साबित हुई है। बंगाल की हर महिला अब सशक्तिकरण की ओर एक नयी राह पर चलकर अपनी और अपने परिवार की खुशहाली को बढ़ा पाएंगी।