खर्च से पहले फाइनेंशियल लिट्रेसी

मप्र के देवास जिला प्रशासन की "भविष्य खर्च योजना" और प्रोजेक्ट सुर्ख़ियों में है. गांव से जुड़ी इन महिलाओं को रुपयों का सही उपयोग करना सीखने के लिए खास तरह की ट्रेनिंग दी गई. फाइनेंशियल मैनेजमेंट गुरु सहित लगभग 200 महिलाओं ने हिस्सा लिया.

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महिलाओं को ट्रेनिंग देते पदाधिकारी (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

लाड़ली बहना योजना (Ladali Behna Yojana) में पात्र महिलाओं को हर महीने मिलने वाले एक हजार रुपए के लिए मप्र के देवास जिला प्रशासन की "भविष्य खर्च योजना" और प्रोजेक्ट सुखियों में है. गांव से जुड़ी इन महिलाओं को रुपयों का सही उपयोग करना सीखने के लिए खास तरह की ट्रेनिंग दी गई. इस पहल के बाद प्रशासन और जिला पंचायत के प्रयास को सराहा जा रहा है. आखिर कोई भी महिला हर महीने पैसों का सही उपयोग कैसे करे, इस मकसद से फाइनेंशियल मैनेजमेंट (Financial Management) गुरू सहित लगभग 200 महिलाओं ने हिस्सा लिया. इसमें आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह (Self Help Group-SHG), आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता और वित्तीय सहायता अभियान से जुड़े पदाधिकारी शामिल हुए. यदि यह प्रयोग सफल रहा तो गांव की महिलाओं को जहां आर्थिक मजबूती मिलेगी वहीं यह प्रयोग पूरे प्रदेश में लागू किया जा सकता है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी इस जिले के लिए खास रूचि दिखाई है. सोनकच्छ में महिलाओं से जुड़े आयोजन में वे ख़ासतौर हिस्सा ले रहे हैं.   

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मास्टर ट्रेनर्स महिलाओं ने फैशियल ट्रेनिंग ली (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

पात्र महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए उनके खाते में जमा होंगे. महिलाओं को इन रुपयों का सही उपयोग करते आए यह प्रयास किए जा रहे हैं. गांव-गांव पात्र महिलाओं को ढूंढ कर फॉर्म भरवाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ,आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह से जुड़े पदाधिकारियों को ट्रेनिंग (training) देकर यही समझाया गया. फाइनेंशियल लिट्रेसी (Financial Literacy) की मास्टर ट्रेनर और कनाड़िया परी गांव की गंगा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष सुनीता मालवीय कहती हैं- "गांव की महिलाएं अपने पास के पैसे भी पति के मांगने पर दे देतीं हैं. कई बार पति यदि नशे के आदी हुए तो पैसा ही नहीं बचेगा.मैंने सभी मौजूद मास्टर ट्रेनर्स और दूसरों को  बताया कि पात्र महिलाओं को बताना है कि हर महीने मिलने वाले रुपए का वे खुद का हेल्थ बीमा,पति-परिवार का बीमा,फसल बीमा,मवेशियों का उपचार,अटल पेंशन योजना,बच्चों के स्कूल की फ़ीस, किताबें-कॉपियों की खरीदी में खर्च कर सकती है. यह भी बताया कि महिलाएं खुद पर कभी ध्यान नहीं देती. अच्छी हरी सब्जियां, पौष्टिक खाने पर खर्च करे जिससे वे खुद भी स्वस्थ रहे."

जिले के गांव-गांव महिलाओं को इस तरह की काउंसलिंग दी जा रही है. सोनकच्छ आजीविका मिशन ब्लॉक प्रबंधक वीरेंद्र ने बताया - " इस परिकलपना को जनपद सीईओ आईएएस टी प्रतीक राव ने तैयार किया. इसमें मास्टर ट्रेनर्स के अलावा खासतौर पर बैंक ऑफ़ इंडिया के आरसीटी डायरेक्टर आर.सेठी भी मौजूद थे." ट्रेनिंग के बाद सभी गांव में महिलाओं से संपर्क शुरू कर दिया है. इस प्रोजेक्ट को लेकर आजीविका मिशन की जिला परियोजना प्रबंधक शीला शुक्ला कहती हैं -" हमने अपने समूहों की मदद और दूसरे विभागों की मदद से पात्र महिलाओं की सूची बना ली. उनको लाभ मिलने वाला है. गांव में महिलाओं को वित्तीय प्रबंधन सिखाना चुनौतीपूर्ण था,जिसे हमने स्वीकार किया. हम इसमें सफल होंगे."

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देवास के सोनकच्छ में मास्टर ट्रेनर्स महिलाओं ने फैशियल ट्रेनिंग ली (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश के सभी 52 जिले में देवास ऐसा पहला जिला है जहां लाड़ली बहना योजना की स्वीकृत हुई एक हजार राशि के उपयोग के गुर भी सिखाए जा रहे हैं. इस पूरे अभियान पर कलेक्टर ऋषव गुप्ता कहते हैं - " यह पूरी योजना बहुत जरूरतमंद महिलाओं के लिए है. यही वजह प्रयास हैं कि महिलाएं इस राशि का सही उपयोग कर सके. खुद की हेल्थ के साथ बच्चे और परिवार पहली प्राथमिकता हो. मुझे ख़ुशी है कि पात्र महिलाएं इस योजना के फाइनेंशियल मैनेजमेंट को समझने लगी है.  इस परिकल्पना को पूरे जिले की पात्र महिलाओं तक पहुंचाया जाएगा."

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