2023 में भी जब शेयर बाज़ार या पैसों से जुड़े मसलों की तरफ़ देखते है तो सिर्फ़ पुरुष नज़र आते है. सीडीएसएल (सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज, इंडिया) के एक सर्वे ने भी बताया कि पुरुष निवेशकों का भारत में शेयर बाज़ार पर दबदबा है. जबकि ऐसे बाज़ार को निवेश का ज़रिया मानने वाली महिलाओं का प्रतिशत आज भी 25 फ़ीसदी से भी कम है. और इन 25 फ़ीसदी में भी ग्रामीण महिलाएं 1% भी नहीं है. इसकी सबसे बड़ी वजह आर्थिक आज़ादी का न होना और उसके साथ फाइनेंशियल लिटरेसी की कमी है. बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (BMC) ने इस कमी को दूर करने का फैसला लिया. BMC महिलाओं को फाइनेंशियल लिटरेसी के ज़रिये अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाएगी. उन्हें शेयर बाज़ार में अपना पैसा निवेश करने के साथ आर्थिक मसलों पर कोर्स महिलाओं की आज़ादी की तरफ़ बड़ा कदम होगा
शेयर बाज़ार में आपके प्रवेश की शुरुआत शेयर मार्केट की 'क- ख-ग' से होगी और बताया जायेगा कि इसमें निवेश कैसे कर सकते हैं, शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव के समय क्या करें, शुरुआत में कितना पैसा निवेश करें, निवेश का उचित समय क्या है, शेयर को कब बेचना सही है और इसमें निवेश कर कैसे अपनी पूँजी को बढ़ाया जा सकता है.
कंप्यूटर चलाना सिखाया जायेगा और साथ ही टेक्निकल बातें भी बताएंगे. BMC ने आगे की राह खोलते हुए विदेश जाकर पढ़ने की चाह रखने वाली लड़कियों को लोन और दूसरी आर्थिक सहायता देने का फैसला किया. अभी उन्हें पैसे और जानकारी के अभाव में अपने सपनों को क़ैद करना पड़ रहा है.
फाइनेंशियल लिटरेसी की ओर बढ़ता क़दम महिलाओं को आर्थिक आज़ादी की तरफ़ ले जायेगा. रविवार का यह मानना है कि BMC द्वारा की गई पहल यदि बड़े पैमाने पर RBI और बैंकों द्वारा भी ली जाएं तो SHG की महिलाओं को बड़े पैमाने पर लाभ मिल सकेगा. स्वसहायता समूह माइक्रो फाइनेंस पर निर्भर है. फाइनेंशियल लिटरेसी की ट्रेनिंग, शेयर ट्रेडिंग की समझ उन्हें ऊंचाई पर ले जा सकेगी. सरकार और कई संस्थान महिलाओं की आर्थिक आज़ादी पर काम कर रहें हैं पर सभी को एकजुट आकर एक दिशा में काम करने की ज़रुरत है. स्वसहायता समूहों की आर्थिक आज़ादी के इस सफ़र को अभी कई और मोड़ तय करने बाकी हैं.