गर्मी का मौसम शुरू होते ही बहुत सी परेशानियों में से एक है, जंगल की आग. पशु हो, वनस्पति हो, या इंसान, इसकी तबाही से कोई नहीं बच पाता. सरकार इस प्राकृतिक आपदा को काबू करने के लिए भरसक प्रयास करती रहती है. छत्तीसगढ़ की महिलाएं सुदूर अंचलों में इस प्राकृतिक आपदा से जंगलों को बचा रही है. बिलासपुर के बेलतरा सर्कल के अंतर्गत जय मां शारदा महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को हरे रंग की साड़ी पहनकर जंगलों में आग बुझाते देखा जा सकता है. आग की लपटों से बचाने के लिए आईं महिलाएं छत्तीसगढ़ के जंगल के महत्व को समझकर खुद आगे आयीं. बड़ी बात यही है कि वे वनकर्मियों के साथ अपना निःशुल्क योगदान देते हुए बराबर की भागीदारी निभा रही हैं.
वन विभाग ने बताया- "अग्नि सीजन, 15 फरवरी से प्रारंभ हो गया है तथा 15 जून तक वनों को अग्नि से बचाना विभाग की प्राथमिकता में है." इसी के साथ वन विभाग ने वनों को आग से बचाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया और इसी अभियान से प्रभावित होकर वनमंडल बिलासपुर के महिला समूह जंगल को आग की लपटों से बचाने के लिए खुद आगे आए और अपना प्रस्ताव रखा. वन विभाग ने इन महिलाओं को आग पर काबू पाने के लिए प्रशिक्षित किया. वन मण्डलाधिकारी बिलासपुर कुमार निशांत ने वन कर्मचारियों को निर्देशित किया- "महिलाएं, जो इस विशेष कार्य के लिए आगे आयी हैं, उन्हें जंगल में आग को बुझाने के लिए प्रशिक्षित करके प्रोत्साहित भी किया जाए."
छत्तीसगढ़ राज्य में पहला वनमंडल बिलासपुर है जो अपने जंगल के प्राकृतिक पुनरोत्पादन, जड़ी-बूटी, कीमती लकड़ी, फल-फूल को बचाने के लिए अनोखा प्रयास किया गया है. 'वन ही जीवन है' के नारे को आगे बढ़ाते हुए ये महिलाएं समझ चुकी है कि यह सभी हमारे लिए अन्मोल धरोहर हैं. वन विभाग के अफसरों ने कहा- "आने वाले कल को ध्यान में रखते हुए इसकी सुरक्षा करना हमारा पहला कर्तव्य है. इन्हीं भावनाओं के साथ यह सभी महिलाएं जंगल में आग लगने की सूचना मिलते ही फ़ौरन वनकर्मियों के साथ आग बुझाने निकल पड़ती हैं." यह महिलाएं पुरे देश के लिए बहुत बड़ा प्रेरणा स्त्रोत है. जिस तरह से देश में गर्मी का स्तर बढ़ता जा रहा है कड़े कदम उठाना बहुत ज़रूरी है. इस तरह की विचारधारा के साथ महिलाओं को आगे आना ही होगा और हमारी अनमोल धरोहर, हमारे जंगल, इन्हें आने वाली पीडियों के लिए बचाना ही होगा.