अगर आप शहर में हैं, और आपको चिलचिलाती गर्मी में ठंडक या कपकपाती सर्दियों में धुप सेंकने का मन है, तो जीवित शहरी जंगल सबसे बेस्ट ऑप्शन साबित होते हैं. दिल्ली में है तो संजय वन नेशनल पार्क, कोच्चि में मंगलवनम या श्रीनगर में शालीमार बाग जाने की प्लानिंग कर सकते हैं. पेड़, पार्क और शहरी वन सिर्फ घूमने की जगह नहीं होती, बल्कि वे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के खिलाफ जल सुरक्षा (Water Security) को बढ़ाकर जैव विविधता (biodiversity) को बचाते हैं और प्रदूषण से भरे शहरी वातावरण की गुणवत्ता में सुधार करते हैं. यह अनुमान लगाया गया है कि यदि अगले 10 से 15 वर्षों में प्रकृति को बचाने के लिए नेचुरल समाधान ढूंढे जायें और फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल कम किया जाये, तो क्लाइमेट चेंज को रोका जा सकता है.
सिटीज 4 फॉरेस्ट्स (Cities4Forests) एक वैश्विक पहल है जो शहरी वन की परिभाषा में अर्बन एरिया के पेड़ों को सम्मिलित करते हैं जिसमें सड़कों, गलियारों, गलियों के पेड़ और उन पेड़ों के नीचे की मिट्टी भी शामिल है. सिटीज 4 फॉरेस्ट्स शहरों को बेहतर संरक्षण, प्रबंधन और आंतरिक वनों (जैसे शहर के पेड़ और शहरी पार्क), आसपास के जंगलों (जैसे हरे गलियारे और वाटरशेड) और दूर के जंगलों को बेहतर ढंग से संरक्षित करने, प्रबंधित करने और पुनर्स्थापित करने में मदद करने पर केंद्रित पहल है.
शहरी वन बनाने के लिए 2020 में शुरू की गई शहरी वन योजना, शहरों में ग्रीन कवर को बढ़ाती है. इसकी शुरुआत चेन्नई, गुरुग्राम, दिल्ली और कोच्चि जैसे महानगरों में की गई. इसका उद्देश्य वन स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बचाने के लिए अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक शक्तियों को एक मंच पर लाना है. पेड़ों और जंगलों को फलने-फूलने और रहने योग्य शहर बनाने के लिए तीन लक्ष्यों को चुना गया:
समुदायों और स्थानीय नेताओं के साथ जुड़ाव
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ज़मीनी स्तर पर काम करने के लिए सबसे ज़रूरी उस समुदाय के विश्वसनीय लोगों, जैसे वहां के नेताओं के साथ तालमेल स्थापित करना ज़रूरी है. निवासियों को अर्बन फॉरेस्ट के फायदों के बारे में लगातार बताते रहना ज़रूरी है. निवासियों, स्थानीय चैंपियन और समुदाय के नेताओं को ग्रीन स्पेस की डिजाइन और देखभाल में शामिल होना चाहिए ताकि जो स्पेस विकसित की जा रही है वो उनके ज़रूरतों को पूरा करे.
दूसरी संस्थाओं के साथ भागीदारी
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नए पौधे लगाने पर उनकी देख-भाल करने की ज़रूरत होती है. दूसरी संस्थाओं और समुदाय के लोगों की मदद से ये काम आसान हो जाता है. इसे साकार करने में संस्थागत भागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. कोच्ची में लोकल सेल्फ गवर्नमेंट डिपार्टमेंट (Local Self Government Department - LSGD) और अय्यंकाली मिशन की साझेदारी से चार ग्रीन साइट को तीन साल में विकसित किया गया. साथ ही इसमें लोकल वर्कर्स और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जोड़ा गया. इससे रोज़गार बढ़ने के साथ-साथ समुदाय की भागीदारी भी बढ़ी.
अगली पीढ़ी को सशक्त बनाना
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संरक्षण की दिशा में आज उठाये गए क़दम, हमारे कल को सुनिश्चित और बेहतर बना सकते हैं. युवाओं को इस पहल से जोड़ना उन्हें प्रकृति के लिए संवेदनशील बनाएगा. ग्रीन जॉब्स में बढ़ोतरी होगी. उनकी भागीदारी से क्लाइमेट रिस्क कम होगा, वातारण बेहतर होगा, और ईकोसिस्टम में संतुलन बना रहेगा.
हमें सामूहिक रूप से अपने शहरों में पेड़ों की भूमिका की फिर से कल्पना करनी होगी, न केवल सौंदर्यीकरण के नज़रिये से, पर शहरी जीवन को बेहतर बनाने वाले ज़रिये के रूप में. मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में शहरी वन का काफ़ी योगदान है. इसके लिए शहर की ग्रीन स्पेस को बढ़ाने के साथ पुरानी स्पेसेस को बचाना होगा. समाज के लोगों और संस्थाओं को साथ मिलकर बेहतर कल के लिए आज ठोस क़दम उठाना होंगे, ताकि अगली पीढ़ी को सांस लेने लायक पर्यावरण और रहने लायक शहर मिल सके.