गोधन से कमाया धन

छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना से छत्तीसगढ़ में कई वर्गाें को सहयोग मिल रहा है. इस योजना से 3 लाख 41 हजार 713 पशुपालकों को फायदा पहुंच रहा है. ख़ास बात ये है कि इनमें 46 % से ज़्यादा महिलाएं शामिल हैं.

New Update
godhan yojana

Image Credits: Kuldeep Yadav/Twitter

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार की गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana) से छत्तीसगढ़ में कई वर्गाें को सहयोग मिल रहा है. इस योजना से 3 लाख 41 हजार 713 पशुपालकों को फायदा पहुंच रहा है. ख़ास बात ये है कि इनमें 46 % से ज़्यादा महिलाएं शामिल हैं. महिलाएं गोबर बेचकर आमदनी कमा रही हैं.  इस आय से वे अपने परिवार को सहारा दे रही हैं. कहीं उन्होंने गोबर बेचकर दो पहिया वाहन खरीद लिये, तो कहीं उन्होंने अपने परिवार के लिए मकान बना लिया. इस योजना से लाभ लेकर, महिलाओं ने अपने सपने पूरे किये और उनमें आत्मविश्वास जागा है. वे गौठानों में संचालित होने वाली गतिविधियों में भी काम कर रही हैं. प्रदेश में 10 हजार 426 गौठान स्वीकृत हैं, जिसमें से 10 हजार 206 गौठान बनाये जा चुके हैं. 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel ) दुर्ग जिले के सांकरा पाटन में आयोजित होने वाले 'भरोसे के सम्मेलन' में गोधन न्याय योजना के लाभार्थियों को 13 करोड़ 57 लाख रूपए की राशि का ऑनलाईन ट्रांसफरकरेंगे. जिसमें गौठानों में खरीदे गए 1.98 लाख क्विंटल गोबर के लिये ग्रामीण पशुपालकों को 3.95 करोड़ रूपए, गौठान समितियों को 5.66 करोड़, और स्वयं सहायता समूहों को 3.96 करोड़ रूपए की राशि शामिल है जिससे इन्हें फायदा मिलेगा. गोधन न्याय योजना के तहत गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों और महिला स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups-SHG) को पिछले महीने 445 करोड़ 14 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है.

इस योजना से उन ग्रामीणों को भी फायदा मिला है, जिनके पास खुदकी ज़मीन नहीं है. लगभग 2 लाख ऐसे परिवारों को भी गौठानों में गोबर की बिक्री करने और रोजगार हासिल करने के अवसर मिले हैं. गोधन न्याय योजना के तहत, गोबर से वर्मी कम्पोस्ट और सूपर कम्पोस्ट खाद बनाने के साथ दूसरी सामग्री भी तैयार की जा रही है. 

गौठान और गोधन न्याय योजना ने गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ाये हैं. आज गौठान ग्रामीण अंचल में आजीविका के एक मजबूत ज़रिये के रूप में उभर रहे हैं. गोधन न्याय योजना के ज़रिये स्वावलंबी गौठानों की गिनती तेज़ी से बढ़ती जा रही है. स्वावलंबी गौठान अब अपनी स्वयं की जमा पूंजी से गोबर खरीदने के साथ-साथ गौठान की दूसरी ज़रूरतों को भी पूरा कर रहे हैं. राज्य में 5709 गौठान स्वावलंबी बन चुके हैं. गौठानों में गौमूत्र खरीद स्वयं सहायता समूह के महिलाएं उससे जैविक कीटनाशक और फसल को बढ़ाने वाला जीवामृत बनाकर बेच रही हैं. अब तक 74401 लीटर कीटनाशक और 31478 लीटर जीवामृत की बिक्री जो चुकी है, जिससे 48.50 लाख रूपए की कमाई हुई है.

Self help groups-SHG गोधन न्याय योजना गौठान CM Bhupesh Baghel Godhan Nyay Yojana Chhattisgarh