मुख्यमंत्री (Chief Minister) शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) स्वयं सहायता समूहों के संकुल स्तरीय संगठनों की अध्यक्ष बहनों से मिले. 'परिचर्चा' (Paricharcha) का आयोजन मुख्यमंत्री निवास पर किया गया. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री (Chief Minister) ने संकुल स्तरीय संगठन की अध्यक्ष बहनों से संवाद करते हुए कहा कि, "महिला सशक्तिकरण मेरी जिंदगी का मिशन है". जन-सामान्य की समस्याओं और रुके हुए कामों को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश जन सेवा अभियान-2 (Madhya Pradesh Jan Sewa Abhiyan-2) चलाया जा रहा है. अभियान को सफल बनाने और इसका फायदा समय-सीमा में पात्र लोगों तक पहुंचाने में स्वयं सहायता समूह (Self Help Group-SHG) की दीदियां सहयोग कर रही हैं.
बालाघाट जिले से आई कुंदा चौधरी उनके एरिया में 'रोड रोलर वाली कुंदा' के नाम से जानी जाती हैं. संस्कृत में पोस्ट ग्रेजुएट कुंदा बताती है कि समूह से जुड़ने पर उन्होंने एम एस डब्ल्यू किया. लोन लेकर दुकान को बढ़ाया. इससे उनकी आमदनी बढ़ी. संकुल के सहयोग और बैंक (Bank) लोन से समूह ने रोड रोलर खरीदा. इससे अब तक 20 सड़कें बनवा चुकी हैं और समूह को 4 लाख रुपये की आय हुई है. मुख्यमंत्री ने योजनाओं और कार्यक्रम को लागू करवाने में स्वयं सहायता समूहों को जोड़ने के लिए निश्चित चैनल विकसित करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि इस अभियान से लोगों की जिंदगी बदलेगी, उनके चेहरे पर मुस्कान आएगी. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए SHG बहनों से हर तरह के सहयोग की अपेक्षा की.
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सीएम शिवराज ने कहा कि स्वयं सहायता समूह की बहनें समाज सुधार के लिए भी आंदोलन चलाएं. बच्चों की पढ़ाई, बाल विवाह को रोकने तथा नशा-मुक्ति के लिए समूह अपने स्तर पर गतिविधियों और जागरूकता के लिए काम करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि आजीविका मिशन को मज़बूत बनाने के लिए यह ज़रूरी है कि हम अपनी जरूरत का सामान आजीविका स्टोर्स से ही लें. प्रदेश में आजीविका स्टोर और दीदी कैफे की संख्या बढ़ाई जाएगी. मुख्यमंत्री ने सीएम राइज स्कूल, मेधावी विद्यार्थी योजना सहित मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में करवाने की व्यवस्था संबंधी जानकारी भी दी.
राजगढ़ जिले से आई अनिता दांगी ने बताया कि गांव का पैसा गांव में ही रहे, इस लक्ष्य से गांव में शुरू किये जाने वाले व्यवसायों की ट्रेनिंग महिलाओं को दी जा रही है. साथ ही उन्हें आर्थिक सहायता, सहयोग और मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है. इससे संकुल स्तर पर करोड़ों रूपये का रोटेशन हुआ है.
शहडोल के संकुल से जुड़ी रेखा बर्मन ने बताया कि महिलाओं को ऑडिट, बुक कीपिंग, रिकार्ड कीपिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है. अब यह महिलाएं दूसरे समूहों के ऑडिट में भी मदद कर रही हैं. आजीविका स्टोर तथा आजीविका मार्ट पोर्टल पर उपलब्ध सामग्री के प्रचार-प्रसार करने और खरीददारी बढ़ाने के लिए 'आजीविका के रंग -खुशियों के संग' तथा नई 'उमंग' नाम से शॉर्ट विज्ञापन फिल्में भी बनाई गई हैं. इस तरह के इवेंट्स से न केवल SHG से जुड़ी महिलाओं का मनोबल बढ़ता है, पर उन्हें नई जानकारी और मार्गदर्शन भी मिलता है.