नई दिल्ली (New Delhi) में आयोजित 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस (17th Indian Cooperative Congress) बैठक में लोकसभा अध्यक्ष (Loksabha Speaker) ओम बिरला (Om Birla) ने कहा कि सहकारिता आंदोलन (Cooperative movement) ने किसानों (farmers) और मजदूरों (labourers) के जीवन में परिवर्तन आया है, ''पहले किसानों को लोन पर 16 से 18 फीसदी तक ब्याज देना पड़ता था, लेकिन आज देश के कई राज्यों में शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर 1 से 1.5 लाख रुपये का ऋण मिलना संभव हुआ है." सहकारी समितियों से जुड़ कर किसानों को खाद, बीज और उर्वरक भी सस्ते दामों पर मिल रहे हैं.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि ये राष्ट्रीय आंदोलन सामुदायिक सहभागिता और सहयोग का अच्छा उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के लोग साथ मिलकर विकास के लक्ष्य के साथ भाग ले रहे हैं. "सहयोग की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे विचारों में है, हमारे अंदर है. सहयोग की भावना हमारे राष्ट्र की सोच में रही है हमारे राष्ट्रीय आंदोलन सहयोग के सबसे बेहतर उदाहरण बने, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के लोगों ने भाग लिया था.” बिड़ला ने कहा.
आगे बोलते हुए बिरला ने बताया कि कोऑपरेटिव चीनी मिलों की शुरुआत ने देश में बड़ा परिवर्तन लाया, जिससे गन्ने का उचित मूल्य मिल पाने और गन्ने को व्यवस्थित तरीके से खरीद की प्रक्रिया को गति मिली.मत्स्य पालन, पशुपालन में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है। सहकारी समितियों के ज़रिये से डेयरी, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह और बुनकरों के व्यवसाय को बढ़ाने और मुनाफा कमाने में मदद हुई है.
"आज, छोटे किसान जो ग्रामीण स्तर पर मछली पालन करते हैं, सहकारी समितियों (Cooperative societies)से जुड़कर प्रोसेसिंग, मछली सुखाने, मछली पकड़ने, स्टोरेज और कैनिंग जैसे कई काम कर आजीविका अर्जित कर रहे हैं." ओम बिरला ने कहा
सहकारिता क्षेत्र ने एक्सपोर्ट्स को बढ़ाकर देश के आर्थिक विकास में भी योगदान दिया है. “मैनुफेक्चरिंग क्षेत्रों से जुड़ी सहकारी समितियों ने 'मेक इन इंडिया' के सपने को हकीकत में बदला है,'' लोकसभा अध्यक्ष ने कहा. बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री ने सहकारिता मंत्रालय अलग बनाने की पहल की है जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी. सहकारिता आर्थिक परिवर्तन के एक नए युग की शुरुआत करेगी।