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स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से जुड़ कर महिलायें खेती, बागवानी, हैंडीक्राफ्ट, टेक्सटाइल समेत कई अलग-अलग तरह के क्षेत्रों में अपना रोज़गार स्थापित कर रही हैं. ऐसा ही एक क्षेत्र है डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) जिसकी तरफ समूह की दीदियां रुख कर रही हैं. डेयरी किसानों (Dairy farmers) के लाभ के लिए दूध और दूध से बने उत्पादों (milk products) की खरीद, प्रोसेसिंग (processing) और मार्केटिंग (marketing) के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण/मजबूतीकरण/आधुनिकीकरण के लिए डेयरी विकास योजनाओं के तहत सहायता प्रदान की जा रही है. इन योजनाओं के तहत डेयरी क्षेत्र से जुड़ी महिला सदस्यों को भी लाभ मिलता है.
डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPDD) और सहकारी समितियों, दुग्ध उत्पादक कंपनियों (MPC), स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठन (FPO) के लिए डेयरी प्रोसेसिंग और बुनियादी ढांचा विकास निधि (DIDF) को लागू किया जा रहा है. नाबार्ड (NABARD) ने इस फंड में से अनुदान सहायता, ट्रेनिंग, कैपेसिटी बिल्डिंग और दूसरी पहलों के लिए ₹150.02 करोड़ की धनराशि जारी की थी.
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (डेयरी सेवाएं) के सहयोग से डीएवाई-एनआरएलएम (DAY- NRLM) योजना के डेयरी मूल्य श्रृंखला विकास की सहायता से 81 हज़ार से ज़्यादा महिला किसानों को समर्थन मिला है. डेयरी फार्मिंग कर कई महिलायें आत्मनिर्भर बनने का सपना पूरा कर रही हैं. उन्हें ट्रेनिंग (training) देकर और मार्केटिंग सिखाकर काम को बढ़ाने में सहायता की जानी चाहिए.