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पढ़ी लिखी हो या ना हो, हर महिला ने ठान लिया है की वे अब आत्मनिर्भर बनकर ही मानेंगी. अपनी ज़िन्दगी और फैसलों को किसी के लिए नहीं बदलना ही अब हर महिला का संकल्प है. दमोह जिले के बटियागढ़ ब्लॉक के अंतर्गत गांव में 10 स्वयं सहायता समूह बने हैं. इस पहल से इनके परिवार की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है. पौड़ी गांव की महिला, देवीबाई आदिवासी ने बताया- "पिछले कुछ समय से गांव में बनने वाली कुटीरों में ईंटों की मांग काफी हो रही थी. इसीलिए हम महिलाओं ने गांव में ईंट बनाने का काम शुरू किया." इन ईटों को पकाने का काम परिवार के पुरुष करते हैं.
ईंट तैयार करने के बाद इन्हें आसपास के गांव में सप्लाई किया जाता है. ईंट बनाने का काम इस गांव में ज़्यादातर पुरुष ही कर रहे थे, लेकिन आजीविका समूह द्वारा ईंट बनाने एवं उसके लाभ के बारे में महिलाओं को बताया गया और कुछ समय तक इसकी ट्रेनिंग दी गयी. इसके तुरंत बाद इन महिलाओं ने यह व्यवसाय शुरू कर दिया. इनके समूह में 10 महिलाएं हैं और प्रत्येक महिला को हर महीने 15 से 20 हजार आमदनी हो जाती है. दमोह के स्वयं सहायता समूह इस व्यवसाय से अपने परिवार की बहुत मदद कर रहे है. महिलाओं की तरफ से यह पहल एक बहुत बड़ी सीख है हर उस SHG के लिए, जो आजीविका के लिए नए काम करना चाहते है. बस चाहिए तो वो जज़्बा, जिससे हर परिस्थिति को बदला जा सकता है.