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पहले ये धारणा थी कि यह भगौरिया हाट आदिवासियों में रिश्ते तय करने और युवक-युवतियों के मिलने पर आपस में  पसंद करने का उत्सव है. सालों पहले तक यही हेडलाइन्स अख़बारों की सुर्खियां  बनती थी.

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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आदिवासी भगौरिया हाट में सज-धज कर पहुंची युवतियां (Image Credits: Isahaq Pathan, Khargone)

इस समय हम घूम रहे हैं इंदौर से दो सौ किमी दूर खरगोन जिले के धुलकोट में. जैसे-जैसे सूरज चढ़ रहा है वैसे-वैसे गांव के हाट में भीड़ बढ़ रही है. आदिवासी फैशन की झलक साफ दिखाई दे रही है. मांदल की थाप ... बांसुरी की धुन... गुड़ की जलेबी,मोटी सेंव और बर्फ के गोले के साथ आसमान छूते हाथ के झूले में खुर्राटी भरते आदिवासी उनके खास त्यौहार भगौरिया की मस्ती में झूम उठे. होली की दस्तक के पहले चाहत और रंगों से सराबोर इस त्यौहार का आदिवासियों को साल भर इंतज़ार रहता है. प्रदेश के पश्चिमी इलाके में अलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन सहित धार के कई गांव में यह मस्ती सप्ताहभर छाए रहेगी. 

होली जलने तक आने वाले सभी हाट भगौरिया हाट में बदल जाएंगे. धुलकोट से यह शुरुआत हुई.  

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आदिवासी भगौरिया हाट (Image Credits: Isahaq Pathan, Khargone)

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आदिवासी भगौरिया हाट (Image Credits: Isahaq Pathan, Khargone)

आदिवासी संस्कृति की झलक उनके खास पहनावे में दिखने लगी. महिलाएं खासकर युवतियां लिपस्टिक और परंपरागत गहनों में सजी-धजी हाट बाजार पहुंची. जमकर खरीदी की. खास युवकों से मुलाकात की. गांव के लोग शाम होते-होते मांदल की थाप और लोक गीतों गाते हुए निकले. नई युवतियां जहां साड़ियों में दिखीं वहीं युवा लोग अब पेंट-शर्ट पहने नज़र आए. पहले ये धारणा थी कि यह भगौरिया हाट आदिवासियों में रिश्ते तय करने और युवक-युवतियों के मिलने पर आपस में  पसंद करने का उत्सव है. सालों पहले तक यही हेडलाइन्स अख़बारों की सुर्खियां बनती थी. यहां तक टीवी पर भी ऐसे दृश्य दिखाए गए. इसे आदिवासियों का वेलेंटाइन डे तक कहा. वक़्त के साथ बदलते माहौल और शिक्षित होते समाज ने आपत्ति ली. उनका कहना है यह भगौरिया त्यौहार हमारा हाट है. होली के पहले पकती हुई फसलों की खुशियां और होली की तैयारी, खरीदी की जाती है. ऐसे प्रणय प्रसंग नहीं होते. यह धारणा गलत ढंग से प्रस्तुत की गई.

 

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आदिवासी भगौरिया हाट में युवतियां (Image Credits: Isahaq Pathan, Khargone)

धुलकोट के सरपंच सालकराम किराड़े ने कहा -" यह हमारा खास त्यौहार है. होली की तैयारी और खरीदी के बाद एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं. अब शिक्षित हो जाने का असर हाट पर दिखने लगा है. समाजसेवी सुभाष डावर ने बताया - "फसल यदि अच्छी होती है तो हाट में उत्साह दुगना हो जाता है.

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आदिवासी भगौरिया हाट में युवती  (Image Credits: Isahaq Pathan, Khargone)

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