भारत में गरीबी विकास की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. इससे निपटने में स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups-SHG) कारगर साबित हो रहे हैं. स्वयं सहायता समूहों (SHG) और किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organizations-FPO) में गरीब महिलाओं को शामिल करना उन्हें सशक्त बनाने और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने की दिशा में एक ज़रूरी कदम है. हालाँकि, इसमें कई तरह की चुनौतियां शामिल हैं जिन्हें दूर करना ज़रूरी है.
सबसे बड़ी चुनौती बाजार और संसाधनों तक पहुंचना है, जो अत्यंत गरीब महिलाओं के लिए अपनी आय बढ़ाने और अपने जीवन स्तर में सुधार करने के लिए ज़रूरी है. अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन ट्रिकल अप ने अल्ट्रा पुअर मार्केट एक्सेस प्रोजेक्ट (UPMA) को वॉलमार्ट फाउंडेशन (Walmart Foundation) के सहयोग से ओडिशा के बलांगीर में सफलतापूर्वक लागू किया है. इस पहल ने बताया कि कैसे गरीबी में रहने वाले परिवार सामूहिक रूप से काम कर, इनपुट्स को इकट्ठा कर एक साथ बाजार तक पहुंच कर मुनाफ़ा कमा सकते हैं.
स्वयं सहायता समूहों और एफपीओ में अत्यंत गरीब महिलाओं को शामिल करने से संबंधित प्रूवन मॉडल और कारगर प्रथाओं को साझा करने के लिए, ट्रिकल अप ने भुवनेश्वर में "इन्क्लुशन ऑफ़ अल्ट्रा पुअर वीमेन इन SHGs एंड FPOs – चैलेंजेज एंड सक्सेस स्टोरीज" (Inclusion of Ultra Poor Women in SHGs and FPOs – Challenges and Success Stories) विषय पर वर्कशॉप का आयोजन किया. कार्यशाला में सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों, शिक्षाविदों, चिकित्सकों सहित विभिन्न संगठनों को साथ लाया गया. नेटवर्क बनाये, नै चीज़े सीखी और विचारों को साझा किया.
सभा को अपने संबोधन में, राज्य मंत्री, ओडिशा सरकार, प्रीतिरंजन घराई ने बताया कि बुनियादी ढांचों के विकास, ग्रामीण आवास परियोजनाओं और सरकारी योजनाओं में नामांकन जैसी पहलों से काफी फायदा पहुंचा है. स्वयं सहायता समूहों (SHG) और किसान उत्पादक संगठनों (FPO) में अति गरीब महिलाओं को शामिल करने की गति बढ़ रही है. महिलाओं को ज़रूरी कौशल सिखाकर SHG और FPO से जोड़कर उन्हें आजीवा का ज़रिया दिया जा सकता है, जिससे उन्हें आर्थिक आज़ादी हासिल हो सकेगी.