एशिया की पहली महिला लोको पायलट PM मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में…

इस समारोह में एशिया की पहली लोको पायलट सुरेखा यादव को भी शपथ कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है. पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा की रहने वाली सुरेखा यादव 1988 में भारत की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर बनीं.

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रिसिका जोशी
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First loco pilot india

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इस बार का चुनाव देखने लायक था. भारत की जनता ने साबित कर दिया की कमान उन्ही के हाथ में है. बहरहाल इस बार भी हमें मोदी सरकार ही देखने को मिलेगी. क्योंकि उन्हें बहुमत मिल चुकी है. जब चुनाव वोटों की गिनती खत्म हुई तब NDA के पास बहुअत थी. उनके पास 292 सीट्स थी. लेकिन यह संख्या बढ़कर आज 303 हो चुकी है, क्योंकि जैसा सोचा गया था कि छोटी पार्टियां और निर्दलीय सांसद NDA में ही मिल जाएंगे.

Loksabha 2024 के नतीजों में फिर मोदी

लोकसभा 2024 के आम चुनाव में एनडीए गठबंधन को बहुमत मिल गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे. मोदी और उनकी कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह 9 जून 2024 को शाम को राष्ट्रपति भवन में संपन्न होगा. इस कार्यक्रम में दुनिया भर से सात हजार मेहमानों को आमंत्रित किया गया है.

‘एशिया की पहली लोको पायलट’ को बुलाया शपत समारोह में

इस समारोह में एशिया की पहली लोको पायलट सुरेखा यादव को भी शपथ कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है. छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से सोलापुर तक वंदे भारत चलाने वाली सुरेखा यादव उन दस लोको पायलटों में से हैं जिन्हें इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है.

‘भारत की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर’

पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा की रहने वाली सुरेखा यादव 1988 में भारत की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर बनीं. उन्होंने इस साहसिक क्षेत्र को सफलतापूर्वक चुना है और अपने करियर में कई पुरस्कार जीते हैं. वह सोलापुर से मुंबई छत्रपति शिवाजी टर्मिनस सोलापुर वंदेभारत तक जाने वाली पहली महिला लोको पायलट भी हैं. सुरेखा यादव काफी संकोची स्वभाव की हैं और मीडिया से ज्यादा बात नहीं करतीं.

सुरेखा यादव- ‘महिलाएं अपनी पसंद का क्षेत्र चुनें…’

एशिया की पहली महिला ड्राइवर के रूप में जानी जाने वाली सुरेखा यादव ने एक ऐसा क्षेत्र चुना जहां आम महिलाएं काम करने के लिए उत्सुक नहीं होतीं. वह कहती हैं कि वह अपने परिवार के सहयोग से यह काम कर पाईं. यह काम बहुत जिम्मेदारी वाला है. इसे परिवार के सदस्यों का अच्छा सहयोग मिलता है. उनका कहना है कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें वंदे भारत चलाने का सौभाग्य मिला. महिलाएं अपनी पसंद का क्षेत्र चुनें, डरें नहीं. वह सिर्फ मन में दृढ़ संकल्प रखने की सलाह देती हैं.

चलिए भले ही सरकार किसी की भी बनी हो अब एक बात तो पक्की है कि देश की महिला तो तब भी आगे बढ़ रही थी. और अब तो और तेजी से आगे बढ़ेंगी हम महिलाएं. मध्य प्रदेश में क्लीन स्वीप ने ये तो साबित किया ही है कि सरकार का महिलाओं के लिए काम काफी अच्छा था और उसी का कारण है कि मध्य प्रदेश जैसे राज्य में NDA को इतनी बड़ी जीत हासिल हुई है. बस अब इसी तरह का काम और शायद अभी से अच्छे करने की बारी है सरकार की. 

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