G20 के W20 फोरम पर SHG फोकस मे

भारत को G20 में 20 देशों की अगुआई करने का मौका मिला. महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए फाइनेंशियल इन्क्लुशन पर किया फोकस. SHG में महिअलों की आर्थिक आज़ादी और फाइनेंशियल इन्क्लुशन को बढ़ावा देने की है ताकत.

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Image credits: W20 India Twitter

भारत को G20 की प्रेसिडेंसी मिलना वैसे ही गर्व और सामरिक महत्व का मसला है . उसके साथ भारत ने G20 का एजेंडा महिला सशक्तिकरण सेट किया. इसी के तहत W20 की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. W20 महिला नेताओं का वो समूह है जो G20 देशों में लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. वैसे तो W20,G20 का ही आधिकारिक हिस्सा है लेकिन इसकी अपनी अलग महत्ता भी है.  इसको G20 के साथ जुड़ने के लिए एक मंच के रूप में स्थापित किया गया है. W20 नागरिक समाज संगठनों, शिक्षाविदों, निजी क्षेत्र और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों से बना है. यह G20 के साथ मिलकर काम करता है जो दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के जीवन को सुधारता है.  

W20 के तहत  ही 11 -12 फरवरी 2023 को आगरा में G20 EMPOWER मीट हुई.  इस के एजेंडे का केंद्र रहा भारतीय महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण.13 सदस्य देशों और 7 अतिथि देशों के करीब 150 प्रतिनिधियों ने भागीदारी दर्ज की. G20 ने एक ऐसा मंच दिया जहां लैंगिक समानता पर काम कर रहे देशों को एक जगह लाकर, उनके विचारों और रणनीतियों को ठोस परिणामों में बदला जा सके. इस मीट का फोकस वूमेन लीडरशिप, जेंडर डिजिटल डिवाइड, एजुकेशन एंड स्किल डेवलपमेंट रहा. 

भारत में करीब 140 लाख एमएसएमई और कृषि व्यवसाय को महिलाएं चला रही हैं. मैकिन्से की एक रिपोर्ट का कहना हैं कि भारत अपने GDP में 18% तक की बढ़त कर सकता है यदि देश में महिला कार्यबल की भागीदारी भी शामिल हो सके. महिलाओं की फाइनेंशियल लिटरेसी पर फोकस कर उन्हें कार्यबल में शामिल करने की पहल भारत सरकार ने की. भारत के लिए SDG 5: लैंगिक समानता हासिल करने के लिए, भारत सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया, पीएम मुद्रा योजना, बेटी बचाओ बेटी पढाओ,पोषण अभियान आदि शुरू किये. इन सभी योजनाओं को जो मज़बूत कड़ी जोड़ती हैं वो हैं SHG जिसने महिलाओं के अपना रोज़गार शुरू करने के अवसर बढ़ाये.  

जिन मध्यमवर्गीय परिवारों में महिलाओं से बैंक और पैसों के मसलों में राय तक नहीं ली जाती, वहीं SHG से बचत सीख कर और कम ब्याज दरों पर लोन लेकर, महिलाओं ने अपना रोज़गार शुरू किया. आपको बतादें कि भारत में 81 लाख स्वसहायता समूहों में 84% महिला सदस्य हैं, इनमे लगभग 90 % SC/ST महिलाएं हैं.  भारत में इन समूहों ने महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारा. लैंगिक समानता का लक्ष्य लेकर सरकार के द्वारा बनाई गई योजनाओं को SHG ने सहारा दिया है.  

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जनजातीय केंद्रीय मंत्री, अर्जुन मुंडा ने दुनिया भर में महिलाओं के आर्थिक विकास पर ज़ोर देते हुए कहा कि फाइनेंशियल इन्क्लुशन को महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण का उपकरण माना जाए. SHG भी फाइनेंशियल इन्क्लुशन की दिशा में काम कर रहें हैं. SHG ने अनुसूचित जाति/जनजाति की महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित की है जिसने उनका सामाजिक उत्थान हो पाया.   

स्वसहायता समूहों ने महिलाओं के कौशल और उनके शुरू किये व्यवसायों को बढ़ावा देने में मदद की. प्रधान मंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) जैसी वित्तीय सहायता देने वाली योजनाओं ने महिलाओं के व्यवसायों की चुनौतियों में से एक को संबोधित किया जिससे उन्हें - आसानी से कम ब्याज दर पर आवश्यकता-आधारित उधार मिल सका. तब से, 4600 लाख से अधिक बैंक खाते खोले गए, जिनमें से 56% महिलाओं के हैं. 2015 और 2022 के बीच, पीएमजेडीवाई खातों में औसत जमा राशि 1,279 रुपये से तीन गुना बढ़कर 3,761 रुपये हो गई. ऐसा कहा जा सकता है कि जन धन और स्वसहायता समूहों ने एक दुसरे का फ़ायदा किया . G20 ने इसी बात पर ज़ोर दिया. 

इसी तरह, उद्यम सखी पोर्टल ने महिला उद्यमियों को सरकारी योजनाओं, नीतियों और गतिविधियों के बारे में जानकारी देकर, SHG को बढ़ने में मदद की. वहीं, आजीविका मार्ट के नेटवर्क को SHG उत्पादों ने फैलाया. SHG से मिली आर्थिक आज़ादी ने न केवल महिलाओं की ज़रूरतें पूरी की पर समाज ने भी उनकी अहमियत को पहचाना. ग्रामीण परिवेश की करीब 82,31,670 महिलाएं आज स्वसहायता समूहों से जुड़ी. जिस महिला ने कभी घर के पैसों के मसलों में अपनी बात नहीं रखी थी, उन्होंने अपने  समूह शुरू कर अपने पति का बोझ बांटा. SHG ने महिलाओं को एकजुट किया और साथ मिल कर उन्होंने घरेलु हिंसा, जुआ-शराब की लत, औरतों के ख़िलाफ़ होते जुर्म जैसे मुद्दों पर जमकर आवाज़ उठाई. सरकार के आजीविका मिशन से जुड़कर अन्य सरकारी योजनाओं का ज्ञान ओर ट्रेनिंग फ़ायदेमंद साबित हुई.  

समूह से जुड़कर विकसित हुई सोच का इस्तेमाल महिलाओ ने अपने बच्चों और परिवार के लिए सही निर्णय लेने में किया. उन्होंने शिक्षा के महत्त्व को समझा और अपने बेटा-बेटी को सामान शिक्षा देने का संकल्प लिया. बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान को इन्होने ओर ऊंचे मक़ाम पर पहुंचाया. शिक्षा के अभाव से SHG चलाने में परेशानी महसूस करने के बाद उन्होंने अपनी बेटियों को स्कूल पहुंचाया. SHG महिलाओं ने पोषण अभियान को भी नई ऊचाइयों पर पहुंचाया. पोषण अभियान के तहत अपने खेतों में फल ओर सब्ज़ियां लगाकर बच्चों को पोषण से भरपूर भोजन दिया ओर साथ ही उन फलों ओर सब्ज़ियों को बेचकर कमाई का ज़रिया भी बनाया.  

यह गर्व की बात है कि आज भारत को 20 देशों की अगुआई करने का मौका मिला. G20  में भारत ने महिला सशक्तिकरण जैसे ज़रूरी मुद्दे को उठाया जिसका कहीं न कहीं विकासशील देशों पर गहरा असर पड़ेगा. विकासशील देश हो या विकसित देश, महिलाओं की आर्थिक आज़ादी आज भी अधूरी है. G20 वो प्लेटफार्म है जो इस मुद्दे को सरहदों पार पूरे विश्व में ले जा सकेगा. 

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