पूर्वजों की विरासत गौंडी कला को मिला GI टैग

डिंडोरी और आसपास के आदिवासी गौंड समाज के कई परिवार इस भित्ति कला को सहेजने में जुटे हुए हैं. इस चित्रकला में आदिवासी आर्टिस्ट प्रकृति, झरना, पहाड़, पर्यावरण, जीव-जंतु सहित दूसरे थीम पर यह चित्र उकेरते हैं.इन चित्रों में एक कहानी छुपी होती है.

New Update
Gond art GI

गौंडी चित्रकला के नायाब नमूने (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

"हमारा मकसद केवल शौक या टाइम पास के लिए चित्रकारी करना नहीं है. यह हमारे आदिवासी समाज के पूर्वजों की निशानी है. हमारे बनाए हर चित्र में संदेश छुपा है. यह धरोहर है, जिसे हम बचा रहे हैं. हमें ख़ुशी है कि हमारी इस कला को GI टैग (Geographical Indication tag) मिल गया. गौंड समाज और गौंडी कला (Gondi Kala) को स्थाई पहचान मिली. हमारी मेहनत सफल रही रही है." अपनी आंखों में चमक लिए यह बात डिंडोरी जिले के पाटनगढ़ की सुषमा श्याम ने कही. सुषमा चित्रकला महिला स्वयं सहायता समूह चलाती है. इन दिन गौंड समाज की यह चित्र कला देश-विदेश में लोकप्रिय प्रिय हो रही है.इस कला को बढ़ावा देने के लिए खुद राज्यपाल मंगू भाई पटेल (Rajypal Mangu Bhai Patel) और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) महिलाओं के समूह से मिल चुके हैं.   

Gond art GI

गौंडी चित्रकला के नायाब नमूने (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)  

पिछले कई दिनों से जिला प्रशासन इस कला को स्थाई पहचान दिलाने के लिए कोशिश कर रहा था. खास बात यह है कि डिंडोरी और आसपास के आदिवासी गौंड समाज के कई परिवार इस भित्ति कला को सहेजने में जुटे हुए हैं. इस चित्रकला में आदिवासी आर्टिस्ट प्रकृति, झरना, पहाड़, पर्यावरण, जीव-जंतु सहित दूसरे थीम पर यह चित्र उकेरते हैं. इन चित्रों में एक कहानी छुपी होती है. श्याम स्वयं सहायता समूह (self help group) की मुन्नी बाई कहती हैं -" मुझे ख़ुशी है कि हमारी कई पीढ़ियों ने इस भित्ति कला को बचाए रखा है. हमारे पूर्वज भी यही कला को बहुत अच्छे से बनाते थे. मेरे बच्चे,बहुएं भी इस काम को आगे बढ़ा रहें हैं." 

Gond art GI

 गौंडी कला को फेब्रिक पर उकेरते सतीश और पूजा (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)  

हाल ही में इसे GI टैग मिल जाने से इस कला को खास मान्यता मिल गई. आजीविका मिशन (Ajeevika mission) की जिला परियोजना प्रबंधक मीना परते कहती हैं -" जिले की यह खास पहचान है. पाटनगढ़ के तीनों मोहल्लों में डेढ़ सौ से ज्यादा चित्रकार इसी विधा से जुड़े हैं. इसके अलावा दूसरे गांव में भी कई स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस कला से जुडी हुई हैं. यह कला कई देशों में पसंद की जा रही है.इससे महिलाएं आत्मनिर्भर भी बन रहीं हैं." इस कला में समूह की महिलाओं के साथ उनके परिवार के पुरुष भी साथ दे रहे  हैं. पाटनगढ़ के ही कलाकार सुनील श्याम कहते हैं -"मुझे ख़ुशी है कि हमारी कई पीढ़ी के लोग इस काम करते आए हैं.इसमें कहानियों के अलावा पूर्वजों और भगवानों से जुड़े प्रसंग होते हैं.इन चित्रों को बनाने के लिए एक्रेलिक कलर का उपयोग किया जा रहा है."
 
हाल ही में इंदौर में आयोजित राष्ट्रीय मालवा उत्सव (Malwa Utsav) में भी गौंड कला से बनी आर्ट की धूम रही. इस उत्सव में शामिल हुए सतीश टेकाम कहते हैं - " यह हमारी आदिवासी परंपरा है. इसमें चित्रों के माध्यम से पूरी कहानी का बताया जाता है. हमारे परिवार के ही कई सदस्य इस कला को सहेजने में लगे हैं. समय के साथ पहले पत्थरों और अब डिमांड अनुसार फेब्रिक पर भी यह आर्ट बनाई जा रही है. " इस आर्ट को अब अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल चुकी है. कई चित्रकार इस विधा को सीख रहे हैं. भोपाल से आई पूजा सक्सेना ने अपना जीवन इस कला को समर्पित कर दिया. पूजा कहती है - " गौंड कला से मैं बहुत प्रभावित हूं. मैंने इस कला को पहले समझा और फिर इसी को जीवन का हिस्सा बना लिया. यह आर्ट पर्यावरण के प्रति लोगों में लगाव को दिखती है. मैं कई प्रदर्शनी में शामिल हो चुकी हूं."      

Gond art GI

गौंडी चित्रकला बनाती समूह सदस्य (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)  

यह कला गौंड आदिवासियों की विरासत कही जा सकती है. इस कला को शुरुआत में भित्ति कला ही कहा जाता था. कई तरह की  लोककला और संस्कृति पर शोध करने वाले लेखक और विशेषज्ञ भोपाल के बसंत निर्गुणे कहते हैं -" गौंड कलाकृतियों का अपना इतिहास रहा है. नई पीढ़ी भी इसे सहेजने में जुटी है. पूर्वज इन्हें पत्थर,शिलाओं पर बनाया करते थे. इसे आधुनिकता के स्वरूप दिया गया. लेकिन इस कला की आत्मा वही है,जिसे बचाया है."
जिला प्रशासन और जिला पंचायत की सीईओ इस कला से जुड़े महिला समूहों को विशेष प्रोत्साहन दे रहे जिससे कला के संरक्षण के साथ देश-विदेश में पहचान मिले.इस कला से समूह सस्यों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है. 

महिला स्वयं सहायता समूह Ajeevika Mission Malwa Utsav Geographical Indication tag CM Shivraj Singh Chauhan Rajypal Mangu Bhai Patel गौंड कला Gondi Kala