हिमाचल, पहाड़ों को जो आंचल में बसाए हुए है वो सुंदर नगर. सुनते ही मन खुश हो जाता है. हिमाचल की सुंदरता बसती है वहां के जंगलों और हरियाली में. इतनी सुंदर जगह- और वो भी हरियाली के कारण, तो कैसे चलेगा अगर वह ख़त्म होने लगे. इसीलिए भारत सरकार ने भी इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हिमाचल प्रदेश के सात जिलों में 460 गांव वन विकास समितियां और 900 से अधिक स्वयं सहायता समूह (SHG) स्थापित किए.
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यह विकास जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा वित्त पोषित वानिकी और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन परियोजनाओं के तहत हुआ है. ये परियोजनाएं SHGs के साथ क्षेत्र हरियाली को बढ़ाने और उनके जंगल-निर्भर समुदायों और फील्ड स्टाफ की कौशल वृद्धि और क्षमता निर्माण को भी प्राथमिकता देते हैं. 15,000 से अधिक महिलाओं को आजीविका गतिविधियों और जंगलों का रिजनरेशन करने की ट्रेनिंग दी जाती है. इन SHGs ने अभी तक बेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर दो वर्षों में 4,600 हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीन पर वृक्षारोपण किया है.
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इसके अलावा, यह परियोजना नर्सरी विकसित करने और रोपण स्टॉक की क्वॉलिटी बढ़ाने पर बहुत जोर देती है. जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी भारत की SHGs महिलाओं के साथ मिलकर एक बहुत अच्छी और ज़रूरी पहल पर काम कर रहा है. सिर्फ हिमाचल ही नही बल्कि यह पहल हर राज्य में शुरू करने की सख्त ज़रूरत है. सरकार के लिए देश में हरियाली और प्रदुषण फ्री वातावरण को लाना एक बहुत बड़ा रास्ता है, जिसे तय करना ज़रूरी है. Self Help Group पूरे भारत में इस तरह के नेचर फ्रेंडली काम कर रही है. इनके साथ जुड़कर आगे बढ़ाना महिलाओं के जीवन में बदलाव लाएगा और साथ ही पर्यावरण को सुरक्षित करने में भी एक कड़ी बन कर जुड़ेगा.