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Image Credits: Indian Express
तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के इस दौर में एग्रो टेक्नोलॉजी ज़ोर पकड़ रही है. वहीं, खेती में पैसों की लागत का हिसाब रखना भी ज़रूरी हो जाता है. इसी विषय पर किसानों की समझ बढ़ाने के लिए इंदिरा गांधी नेशनल ओपन विश्वविद्यालय (इग्नू) और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएमएआई) ने एमओयू साइन किया. इसका लक्ष्य कृषि लागत प्रबंधन (एग्रीकल्चरल कॉस्ट मैनेजमेंट) में, ओपन एंड डिस्टेंस शिक्षा कार्यक्रम (ओडीएल) के ज़रिये डिप्लोमा शुरू करना है.
ये डिप्लोमा ज्ञान, उद्यमशीलता क्षमताओं और कौशल विकसित कर कृषि लागत प्रबंधन की जागरूकता को बढ़ायेगा. यह डिप्लोमा किसानों, युवाओं, छोटे और मध्यम वर्गीय उद्यमियों, एनजीओ पदाधिकारियों/प्रशिक्षकों, सहकारी समितियों के सदस्यों और स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों सहित औरों के लिए फायदेमंद साबित होगा. साथ ही इससे पालिसी मेकर्स को भी लाभ मिलेगा. एमओयू पर इग्नू की रजिस्ट्रार (एडमिनिस्ट्रेशन) डॉ आलोक चौबे, और सीएमए विजेंदर शर्मा, अध्यक्ष, आईसीएमएआई ने हस्ताक्षर किए. आईसीएमएआई के सचिव सीएमए कौशिक बनर्जी ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया.
विकास की चाबी ज्ञान है, और इस तरह के डिप्लोमा किसानों, स्वयं सहायता समूहों, और उद्यमियों को बदलते दौर में दूसरे पेशेवरों के साथ क़दम से क़दम मिलाकर चलने में मदद करेंगे. ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित व्यवसायों की समझ बढ़ाने के लिए डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेस शुरू किये जाने चाहिए ताकि ये भी अपने आप को बदलती तकनीक के हिसाब से अपडेट कर सकें.