पर्यावरण को लेकर जागरूक होना, यह बात किसी के सिखाने से नहीं समझी जा सकती. जिस तेजी से हमारे पर्यावरण को नुक्सान हो रहा है, उठाए जाने वाले कदम भी उसी तेजी से आगे बढ़ने चाहिए. भारत सरकार भी इस समस्या को नियंत्रण में लाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है. यह समस्या ऐसी नहीं है कि सिर्फ सरकार के कदम से काम हो जाए. देश के हर व्यक्ति को इस मुहीम में अपना पूरा साथ देना होगा. स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाएं पर्यावरण सुरक्षा पर बहुत ज़्यादा ध्यान देती है. झारखण्ड के धनबाद शहर में सिल्वर और भारत भक्ति Self Help Group द्वारा इसी कड़ी में अपना योगदान देते हुए जूट से नेचर फ्रेंडली उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं.
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जूट के फैशनेबल बैग, लिफाफा, डॉल, मूर्ति, चप्पल, फाइल के साथ स्टोरेज बैग बनाये जा रहे हैं. इसे काफी सराहा जा रहा है और डिमांड में भी है. जूट से लेटेस्ट फैशनेबल ज्वेलरी भी तैयार की जा रही है. यह ज्वेलरी छात्राओं, दुल्हन व महिलाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. इसकी कीमत भी बहुत मिनिमल है.
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सिल्वर SHG की सचिव प्रीति सुमन बताती हैं- "समूह से 20 सदस्य जुड़ी हैं. 10 से 20 रुपये मार्जिन पर ज्वेलरी व जूट के अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है. नावाडीह में उनलोगों का वर्कशॉप है. जूट की ज्वेलरी पर ज्यादा फोकस किया जा रहा हैं." जूट से बनी ज्वेलरी धनबाद के साथ बंगाल में भी डिमांड में है. प्रीति सुमन ने बताया- "पॉलिथीन का विरोध जरूरी था. ऐसे में विकल्प की जरूरत थी, जो हमारे लिए सहजता से उपलब्ध हो. इसीलिए हमनें जूट के उत्पाद पर फोकस किया. यह ज्वेलरी और बैग्स आकर्षक होने के साथ ही पर्यावरण के लिए सुरक्षित भी है."
धनबाद के स्वयं सहायता समूह की यह पहल भले ही छोटा कदम हो, लेकिन अगर हर शहर में इस तरह का कदम उठा लिया गया तो बदलाव बहुत तेजी से आएगा. अगर हर गांव के SHGs यह ठान ले कि वे प्लास्टिक और पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाने वाले उत्पादों का इस्तेमाल ना करेंगी ना करने देंगी, तो असर बहुत बड़ा होगा.