देश में 'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत हर शहर और राज्य की सरकार और आम लोग आगे आ रहे है. हर जगह कचरा इक्कठा करने वाली गाड़ियां और लोग मौजूद है, जो घर-घर जाकर कचरा इकठ्ठा करते है. इस जॉब में अभी तक सिर्फ पुरुष ही सामने आ रहे थे लेकिन अब पहली बार महिलाएं भी ऑटो टिपर के रूप में सामने आएंगी. कर्नाटक के हावेरी जिले में संजीवनी स्वयं सहायता समूह (SHG) के साथ ग्राम पंचायत में सूखे कचरे के प्रबंधन की देखरेख के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. आजादी के पहिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत गठित और राज्य सहकारी अधिनियम के तहत पंजीकृत Sanjeevani Self Help Group में औसतन 10 से 20 महिला सदस्य शामिल हैं, जो NRLM और Karnataka State Rural Livelihood Promotion Society (KSRLPS) के माध्यम से आजीविका प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्राप्त करती हैं.
32 महिलाओं ने विभिन्न ग्राम पंचायतों में स्वच्छ वाहिनी चलाने के लिए हवेरी स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (RSETI) में प्रशिक्षण प्राप्त किया. उनमें से तीन महिलाएँ स्नातक हैं, जो टीचिंग फैकल्टी के रूप में पार्ट टाइम जॉब करती है. बाकियों ने अपना Secondary School Leaving Certificate (SSLC) पूरा कर लिया है. समूह ने अपना एक महीने का प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और अब महिला ड्राइवरों की तरह को नियुक्त होने को तैयार है. RSETI के निदेशक शाजीत एस ने कहा- "महिलाओं के लिए भोजन और आवास के साथ एक महीने के ड्राइविंग प्रशिक्षण का पहला बैच सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है. ड्राइविंग के अलावा, हमने उन्हें जीवन कौशल और बैंकिंग सेवाओं का भी प्रशिक्षण दिया है." ड्राइविंग पाठ के साथ-साथ, उन्हें वाहनों के मुख्य भागों के बारे में भी समझाया है और उन्हें मामूली रिपेयरिंग का काम भी सिखाया.
जिला पंचायत RSETI के माध्यम से महिला चालकों को प्रशिक्षण देने के लिए दूसरा बैच शुरू करने की योजना बना रही है. अधिक महिला चालकों के प्रशिक्षण पूरा करने के बाद पुरुष चालकों पर निर्भरता काफी कम हो जाएगी. हावेरी जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद रोशन ने बताया- "18 से 45 वर्ष की महिलाओं ने अपना ड्राइवर प्रशिक्षण पूरा कर लिया है. यह महिला चालक अपने-अपने गांवों में घर-घर जाकर सूखा कचरा इकट्ठा करने और ठोस कचरा प्रबंधन इकाइयों में निपटाने के लिए स्वच्छ वाहिनी ऑटो टिपर का संचालन करेंगी." 170 ग्राम पंचायतों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के यूनिट्स भी स्थापित करने की योजना बनाई है जो सहज महिलाएं चलाएंगी. महिलाएं अब साबित कर रही है की पुरुष प्रधान कार्य जैसा कुछ नहीं है. कर्नाटक सरकार की यह पहल महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए एक बहुत बहुत बड़ा कदम साबित होगी.